प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का आधिकारिक डेटा बताता है कि 25 मार्च से दो जून की लॉकडाउन की अवधि के दौरान इससे पहले के 12 हफ्तों की तुलना में योजना के तहत सर्जिकल प्रकियाओं और अन्य मेडिकल देखरेख के मामलों में बड़ी गिरावट देखी गई.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में संक्रमित लोगों के लिए निजी क्वारंटीन सेंटर की सुविधा एवं अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की भी मांग की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से ऐसे अस्पतालों की पहचान करने को कहा है, जहां कोविड-19 मरीजों का इलाज नि:शुल्क या बेहद कम लागत में किया जा सकता है. अदालत ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.
वकील और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र के नगर निकाय अधिकारियों के पास ग़ैर कोरोना रोगियों के लिए कोई विस्तृत कार्य योजना नहीं है और कई लोग इलाज के अभाव में पहले ही जान गंवा चुके हैं.