वीडियो: मुंबई की आरे कॉलोनी में बनने वाले मेट्रो कार शेड को लेकर मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने बीते 24 अप्रैल की सुबह तक़रीबन 500 पेड़ काट दिए. ये सारे पेड़ यहां के स्थानीय निवासियों ने लगाए थे. इस क़दम से इन लोगों में नाराज़गी है.
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बीते छह जून को स्थानीय लोगों के समर्थन में हसदेव अरण्य क्षेत्र का दौरा किया था और कहा था कि प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ गोली या लाठी चलाई जाएगी, तब वह सबसे पहले इसका सामना करेंगे. ज़िलाधिकारी ने कहा कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित तीन प्रस्तावित कोयला खदान परियोजनाओं पर काम फिलहाल रोक दिया गया है. क्षेत्र की जिन खदानों में काम चल रहा है, वे खदानें काम करती रहेंगी.
कोयला खदान परियोजनाओं का विरोध कर रहे ग्रामीणों के समर्थन में सरगुजा पहुंचे राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, 'जब हमारे पास 80 साल का कोयला भंडार है और हमने 2030 तक बिजली के लिए कोयले पर निर्भरता पूरी तरह से छोड़ देने का फ़ैसला किया है, तब घने जंगलों और जैव विविधता से भरपूर हसदेव को क्यों नष्ट करें. अगर मेरे वश में होता तो मैं यहां खनन नहीं होने देता.'
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश करने वालों को पहले बिजली और एयर-कंडीशनर, पंखे और कूलर का उपयोग बंद करना चाहिए और फिर इसके लिए लड़ना चाहिए. लोग दावा कर रहे हैं कि 8 लाख पेड़ काटे जाएंगे, जबकि वास्तव में इस साल सिर्फ़ 8,000 पेड़ ही काटे जाएंगे.
पिछले सप्ताह केरल के वन विभाग द्वारा तमिलनाडु जल संसाधन विभाग को दी गई अनुमति को निरस्त करना उस आलोचना के मद्देनज़र आया है, जिसमें कहा जा रहा है कि इस क़दम से मौजूदा 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध के बदले एक नए बांध की केरल की मांग कमज़ोर हो जाएगी. केरल की मांग है कि एक नया बांध बनाया जाना चाहिए और तमिलनाडु कह रहा है कि एक नए बांध की आवश्यकता नहीं है.
उत्तर प्रदेश सरकार और लोक निर्माण विभाग समेत उसके प्राधिकारों ने एक सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मथुरा में कृष्ण-गोवर्धन रोड परियोजना के तहत सड़क चौड़ा करने के लिए क़रीब तीन हज़ार पेड़ों को काटने की अनुमति देने का अनुरोध किया है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली के लिए पेड़ों को काटे जाने पर इतना बवाल क्यूं? पूर्व में भी प्रधानमंत्रियों और अन्य नेताओं की रैलियों के लिए पेड़ काटे जा चुके हैं. मुझे हैरत है कि पहले इस प्रकार की कोई जागरूकता क्यूं नहीं थी.