कुछ लोकसभा सदस्यों ने विधेयक पर आपत्ति जताई लेकिन उन्हें ख़ारिज करते हुए सरकार ने कहा कि यह विधेयक संविधान के बुनियादी ढांचे के तहत है.
बोर्ड ने कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक बात है कि केंद्र सरकार ने इस विधेयक का मसौदा तैयार करने से पहले किसी भी मुस्लिम संस्था या किसी भी मुस्लिम विद्वान से कोई राय-मशविरा नहीं किया.