दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 के दंगों के मामले संबंधी एक अर्ज़ी दायर करने में देरी के लिए पुलिस पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि इन मामलों में पुलिस आयुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को निजी हस्तक्षेप करने के लिए बार-बार दिए गए निर्देशों को नज़रअंदाज़ किया गया.