कोरोना के प्रकोप के बीच दक्षिण एशिया में स्वास्थ्य संकट का सामना कर सकते हैं बच्चे: यूनिसेफ

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने कहा था कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण टीकाकरण अभियान सीमित कर देने से दुनियाभर में 11.7 करोड़ बच्चे खसरा के ख़तरे का सामना कर रहे हैं.

कोरोना के कारण टीकाकरण रुकने से 11.7 करोड़ बच्चों को खसरे का ख़तरा: संयुक्त राष्ट्र एजेंसी

विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ की ओर से कहा गया है कि वर्तमान में 24 देशों ने टीकाकरण का काम रोक दिया गया है और कोरोना वायरस के कारण 13 अन्य देशों में भी टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हुआ है.

विश्व भर में निमोनिया से बच्चों की मौत के मामले में भारत दूसरे स्थान पर

यूनीसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में पूरे विश्व में निमोनिया से पांच वर्ष से कम उम्र के आठ लाख से अधिक बच्चों की मौत हुई. इस सूची में नाईजीरिया पहले, भारत दूसरे और पाकिस्तान तीसरे स्थान पर है.

भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में 69 प्रतिशत मौतों की वजह कुपोषण: यूनिसेफ

यूनिसेफ ने 'द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन 2019' नाम की अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत में पांच वर्ष से कम आयु के हर पांचवें बच्चे में विटामिन ए की कमी है, हर तीसरे बच्चे में से एक को विटामिन बी 12 की कमी है और हर पांच में से दो बच्चे खून की कमी से ग्रस्त हैं.

परंपरागत आहार की जगह नूडल्स खाने से बच्चों को हो रहा नुकसान: यूनिसेफ

बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, तीन देशों- फिलीपींस, इंडोनेशिया और मलेशिया में पांच साल से कम उम्र के औसतन 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं, जबकि इस मामले में वैश्विक औसत तीन में से एक बच्चे के कुपोषित होने का है.

पाकिस्तान ने की प्रियंका चोपड़ा को यूनिसेफ सद्भावना दूत के पद से हटाने की मांग

पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री ने यूनिसेफ को लिखे पत्र में जम्मू कश्मीर में की गई कार्रवाई पर प्रियंका चोपड़ा के कट्टर राष्ट्रवाद और समर्थन का हवाला देते हुए कहा कि यूनिसेफ को तुरंत उन्हें अपने दूत के पद से हटाना चाहिए, नहीं तो शांति के लिए सद्भावना दूत जैसी नियुक्तियां विश्वभर में एक तमाशा बनकर रह जाएंगी.

मुज़फ़्फ़रपुर में बच्चों की मौत के बाद जायजा लेने गए सीएम नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी

इंसेफलाइटिस की चपेट में आकर बच्चों की मौत के मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के ख़िलाफ़ परिवाद दायर. बिहार में अब तक तकरीबन 120 बच्चों की मौत इंसेफलाइटिस से हो चुकी है.

क्या है चमकी बुखार, जिसने बिहार में ली सैकड़ों बच्चों की जान

एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम या दिमागी बुख़ार का दायरा बहुत विस्तृत है, जिसमें अनेक संक्रमण शामिल होते हैं और यह बच्चों को प्रभावित करता है. बिहार में पिछले 20 दिनों में इसके 350 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें क़रीब 120 बच्चों की मौत हो चुकी है.

बिहार में बच्चों की मौत पर मानवाधिकार आयोग का स्वास्थ्य मंत्रालय, बिहार सरकार को नोटिस

आयोग ने इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए जापानी इंसेफलाइटिस वायरस, एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम पर नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम को लागू करने की स्थिति पर भी रिपोर्ट मांगी है.

बिहार में ‘अज्ञात बुखार’ से करीब 120 बच्चों की मौत, कटघरे में स्वास्थ्य व्यवस्था

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2014 में इस बीमारी के कारण 86 बच्चों की मौत हुई थी. जबकि 2015 में 11, साल 2016 में चार, साल 2017 में चार और साल 2018 में 11 बच्चों की मौत हुई थी.

मुज़फ़्फ़रपुर: बच्चों की मौतों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्री पूछते नजर आए कितने विकेट गिरे

बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में बीते रविवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे भी मौजूद थे. इसी दिन भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट वर्ल्ड कप का मैच था.

बिहार: मुज़फ़्फ़रपुर में दिमागी बुखार सहित अज्ञात बीमारी से अब तक 84 बच्चों की मौत

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रत्येक मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की है.

बिहार: बीते पंद्रह दिनों में हुई तक़रीबन 60 बच्चों की मौत का ज़िम्मेदार कौन?

ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार के मुज़फ्फरपुर में अब तक 'अज्ञात बुखार' के चलते करीब 60 बच्चों की मौत हो चुकी है और सैंकड़ों बच्चे इससे पीड़ित हैं.

भारत ने सात रोहिंग्या प्रवासियों को वापस म्यांमार भेजा

सुप्रीम कोर्ट ने असम में अवैध रूप से आए सात रोहिंग्याओं को उनके मूल देश म्यांमार भेजने के सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

रोहिंग्या शरणार्थियों का म्यांमार लौटना अब भी सुरक्षित नहीं: संयुक्त राष्ट्र अधिकारी

यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक जस्टिन फोर्सिथ का कहना है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत के गांवों में अब भी हमले हो रहे हैं.