केरल हाईकोर्ट ने एक पूर्व न्यायिक अधिकारी की सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की. इस पूर्व न्यायिक अधिकारी ने प्राचीन वस्तुओं के एक स्वयंभू विक्रेता के ख़िलाफ़ जांच के सिलसिले में न्यायालय के आदेशों के बारे में अमर्यादित और कटु टिप्पणी की थी.