अतीक़ अहमद और अशरफ़ की हत्या की स्वतंत्र समिति से जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में अतीक़ अहमद और अशरफ़ की हत्याओं की जांच के लिए शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग की गई. इसके अलावा योगी आदित्यनाथ सरकार के छह साल के कार्यकाल के दौरान राज्य में हुए 183 पुलिस एनकाउंटर की जांच की भी मांग की गई है.

अतीक़ ने बार-बार जताई थी हत्या की आशंका, भाई अशरफ़ ने कहा था, ‘दो हफ़्ते बाद मार डालेंगे’

उमेश पाल हत्या के संबंध में गुजरात की साबरमती जेल से इलाहाबाद लाए गए अतीक़ अहमद और उसके भाई अशरफ़ की पुलिस के सुरक्षा घेरे में ही बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी. उमेश की हत्या के बाद से अतीक़ अहमद और उसके परिजनों ने कई बार हत्या की आशंका जताई थी. अतीक़ ने सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षा को लेकर याचिका भी दायर की थी, जिसे ख़ारिज कर दिया गया था.

अतीक़ हत्याकांड में न्यायिक जांच के आदेश, पुलिस का दावा- आरोपियों ने प्रसिद्धि पाने के लिए किया

इलाहाबाद पुलिस ने अतीक़ अहमद और उसके भाई अशरफ़ की हत्या के आरोपी तीनों हमलावरों की पहचान लवलेश तिवारी (23 वर्ष), सनी सिंह (23 वर्ष) और अरुण मौर्य (18 वर्ष) के रूप में की है. पुलिस ने कहा कि वे क्रमश: बांदा, कासगंज और हमीरपुर के रहने वाले हैं.

विपक्ष ने अतीक़ अहमद की हत्या पर सवाल उठाए; मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफ़े की मांग

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में शनिवार देर रात पुलिस घेरे में मौजूद गैंगस्टर अतीक़ अहमद और उसके भाई अशरफ़ की गोली मारकर हत्या कर दी गई. सरेआम हुई इस घटना पर विपक्ष के नेताओं ने राज्य की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए योगी सरकार को बर्ख़ास्त करने की मांग की है.

अतीक़ अहमद हत्या: चिंता राज्य के अपराधी बनने की है, जिसे हमारी हिफ़ाज़त करनी है

अपराधियों के समर्थक अपराधी ही हो सकते हैं और वे हैं. हमारी चिंता है उस राज्य द्वारा समाज के एक हिस्से को हत्या का साझेदार बना देने की साज़िश से. हमारी चिंता क़ानून के राज के मायने के लोगों के दिमाग़ से ग़ायब हो जाने की है.

अतीक़-अशरफ़ हत्या: उत्तर प्रदेश में अब कोर्ट-कचहरी का क्या काम?

वीडियो: इलाहाबाद में उत्तर प्रदेश पुलिस के सुरक्षा घेरे में मीडिया के सामने अतीक़ अहमद और उसके भाई अशरफ़ की गोली मारकर हत्या कर दी गई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. इस घटना के मद्देनज़र प्रदेश में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति पर वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.

उत्तर प्रदेश पुलिस के सुरक्षा घेरे में अतीक़ अहमद और उसके भाई अशरफ़ की गोली मारकर हत्या

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा झांसी में एक एनकाउंटर के दौरान बीते 13 अप्रैल को अतीक़ अहमद के बेटे असद अहमद और एक अन्य व्यक्ति को मार दिया गया था. इससे पहले अतीक़ ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था कि उसे डर है कि उसे फ़र्ज़ी एनकाउंटर में मार दिया जाएगा.

यूपी: अतीक़ अहमद के बेटे का पुलिस एनकाउंटर योगी सरकार में हुई 183वीं ऐसी घटना है

19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद से योगी आदित्यनाथ ने पुलिस एनकाउंटर को अपना राजनीतिक समर्थन दिया है. मुख्यमंत्री के लिए यह अपराध पर नकेल कसने, जो उनकी सरकार का प्रमुख मुद्दा है, का सबसे शक्तिशाली हथियार है. उन्होंने इसे एक निवारक उपाय भी माना है.

यूपी: शाहजहांपुर में चोरी के शक़ में प्रताड़ित किए जाने के बाद शख़्स की मौत

शाहजहांपुर ज़िले का मामला. आरोप है कि सूरी ट्रांसपोर्ट्स कंपनी में मैनेजर के रूप में काम कर रहे 33 वर्षीय एक व्यक्ति को चोरी के संदेह पर एक खंभे से बांध कर बेल्ट से मारा गया और बिजली के झटके दिए. इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. तीन अन्य कर्मचारियों ने भी प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं.

यूपी पुलिस के एनकाउंटर में अतीक़ अहमद के बेटे की मौत

अतीक़ अहमद के बेटे असद अहमद और ग़ुलाम, उमेश पाल की हत्या मामले में वांछित थे, जिनकी 24 फरवरी को इलाहाबाद में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पेशे से वकील उमेश 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह थे.

गोहत्या करवाएं हिंदू महासभा के सदस्य और पकड़े जाएं मुस्लिम?

वीडियो: बीते दिनों यूपी पुलिस ने बताया था कि आगरा में रामनवमी पर गोक़शी की एक वारदात को लेकर अखिल भारत हिंदू महासभा के पदाधिकारियों ने कुछ मुस्लिम युवकों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई थी. बाद में पुलिस ने पाया कि इसी संगठन के सदस्यों ने मुस्लिम युवकों को फंसाने के लिए गाय की हत्या कर साज़िश रची थी. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.

मलियाना दंगों और जयपुर विस्फोट केस में आरोपमुक्ति: दो फैसले और दो तरह की राजनीतिक प्रतिक्रिया

मलियाना दंगे और जयपुर विस्फोट मामले में अदालतों ने घटिया जांच और आपराधिक जांच प्रणाली में जवाबदेही की कमी की बात कही है. जहां राजस्थान में विपक्षी भाजपा के साथ कांग्रेस सरकार फैसले के ख़िलाफ़ अपील की बात कह रही है, वहीं मलियाना मामले में यूपी की भाजपा सरकार के साथ विपक्ष ने भी कोई ख़ास प्रतिक्रिया नहीं दी है.

हिंदू महासभा सदस्यों ने मुस्लिम युवकों को फंसाने के लिए गाय की हत्या कर साज़िश रची: यूपी पुलिस

उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले का मामला. रामनवमी पर गोकशी की वारदात हुई थी और गोमांस बरामद हुआ था. इस संबंध में अखिल भारत हिंदू महासभा के पदाधिकारियों ने कुछ मुस्लिम युवकों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई थी. हालांकि कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि आरोपी घटनास्थल पर एक महीने से अधिक समय से गए ही नहीं थे.

मलियाना दंगा: किसको इंसाफ और किसके साथ हुई नाइंसाफ़ी?

वीडियो: मेरठ के मलियाना में 23 मई 1987 को दंगे भड़क गए थे, जिनमें 63 लोगों की मौत हुई थी. बीते दिनों  मेरठ की एक अदालत ने सबूतों के अभाव में मामले के 40 आरोपियों को बरी कर दिया. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.

मलियाना नरसंहार मामले में 36 साल बाद आए फैसले में सबूतों के अभाव में 40 आरोपी बरी

उत्तर प्रदेश के मेरठ के मलियाना में 23 मई 1987 को दंगे भड़क गए थे, जिनमें 63 लोगों की मौत हुई थी. एक स्थानीय नागरिक की शिकायत पर घटना के अगले दिन पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की थी. मामले में सुनवाई के लिए 800 से ज़्यादा तारीख़ें ली गईं. मुक़दमे में 74 गवाह थे, जिनमें से सिर्फ़ 25 ही बचे थे.

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