मामला मुरादाबाद का है, जहां मांस ले जा रहे एक मीट विक्रेता को गोरक्षा वाहिनी के पदाधिकारी की अगुवाई वाले समूह ने रोककर मारपीट की और गो-तस्कर बताते हुए पुलिस को सौंप दिया. बाद में विक्रेता को छोड़ते हुए हमलावरों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया. घटना के बाद भारतीय गोरक्षा वाहिनी ने दावा किया है कि आरोपी उनसे संबद्ध नहीं हैं.
मामला गाज़ियाबाद का है, जहां राजस्व विभाग के एक लिपिक ने वॉट्सऐप स्टेटस पर उत्तर प्रदेश और बिहार में ‘जंगल राज’ होने का आरोप लगाते हुए लिखा था कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने पूर्ववर्ती केआर नारायणन की तरह ठोस फैसले क्यों नहीं ले रहे हैं. ज़िला प्रशासन ने उनके ख़िलाफ़ विभागीय जांच के भी आदेश दिए हैं.
उत्तर प्रदेश में साल 1987 के मेरठ दंगों के दौरान 22 मई को यहां के हाशिमपुरा में 42 मुस्लिम युवकों को पीएसी जवानों द्वारा हत्या कर दी गई थी. इसके अगले दिन 23 मई को मलियाना गांव के 72 से अधिक मुसलमानों को इसी तरह मार डाला गया था. 2018 में हाशिमपुरा मामले में 16 पीएसी जवानों को उम्रक़ैद की सज़ा मिल चुकी है, लेकिन मलियाना के पीड़ितों को घटना के 34 साल बाद भी न्याय का इंतज़ार है.
विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता और एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी और एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि पंचायत चुनाव में 50 हज़ार से अधिक माध्यमिक शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगी, जिनमें से अब तक 425 कोविड संक्रमण से जान गंवा चुके हैं.
गंगा में बहे शवों को देखकर व्यथित हुई गुजराती कवियत्री पारुल खक्कर ने अपने दुख को चौदह पंक्तियों की की कविता की शक्ल दी, जिसे लेखकों के साथ-साथ आमजनों ने भी पसंद किया. हालांकि इसके बाद मूल रूप से गैऱ राजनीतिक पारुल सत्तारूढ़ भाजपा की ट्रोल आर्मी के निशाने गईं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश को सलाह के तौर पर लेना चाहिए और उसे लागू करने के लिए हरसंभव क़दम उठाने चाहिए. उत्तर प्रदेश के मेरठ जैसे शहर के एक मेडिकल कॉलेज में इलाज की बुरी स्थिति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि शहरों का यह हाल है तो छोटे शहरों और गांवों के संबंध में राज्य की संपूर्ण चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे ही कही जा सकती है.
पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान हुए कोरोना संक्रमण से बड़ी संख्या में शिक्षकों, शिक्षा मित्रों आदि के प्रभावित होने पर सरकारी बेरुख़ी से उनके संगठन तो राज्य सरकार से ख़फ़ा हैं, वहीं महामारी के दौरान बढ़ी ज़िम्मेदारियों के बीच सुविधाओं के अभाव को लेकर मनरेगा कर्मी और संविदा एएनएम भी आक्रोशित हैं.
उत्तर प्रदेश के शिक्षक संगठनों ने हालिया पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, शिक्षामित्रों तथा अन्य विभागीय कर्मियों की कोविड संक्रमण से मृत्यु का दावा करते हुए एक करोड़ रुपये मुआवज़े और आश्रितों को सरकारी नौकरी देने की मांग की थी. बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने इस दावे को ग़लत ठहराया है.
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के रामसनेही घाट तहसील परिसर में स्थित मस्जिद को प्रशासन ने 17 मई की शाम को ढहा दिया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने एक सदी पुरानी मस्जिद को कथित रूप से ढहाए जाने पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए सरकार से इस वारदात के ज़िम्मेदार अफसरों को निलंबित कर मामले की न्यायिक जांच कराने और मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग की है.
पिछले साल उत्तर प्रदेश सरकार के दो मंत्री- चेतन चौहान और कमल रानी वरुण का निधन भी कोविड-19 की वजह से हुआ था. इसके अलावा महामारी की दूसरी लहर के दौरान भाजपा के चार विधायक- दल बहादुर कोरी, केसर सिंह गंगवार, सुरेश कुमार श्रीवास्तव और रमेश चंद्र दिवाकर की मौत हो चुकी है. इस बीच राजस्थान के कोरोना संक्रमित भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा का भी निधन हो गया है.
द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि गौतमबुद्धनगर ज़िले के मेवला गोपालगढ़ के लोगों का एक नीम के पेड़ के नीचे ‘इलाज’ हो रहा है. ज़िला प्रशासन ने गांव के पूर्व प्रधान समेत दो लोगों पर अफ़वाह फैलाने का आरोप लगाया है. आरोप के अनुसार, दोनों प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार और ज़िला प्रशासन की छवि को ख़राब करने के इरादे से अफ़वाह फैलाकर गांववालों को गुमराह कर रहे हैं.
मेरठ ज़िला अस्पताल में भर्ती एक मरीज़ की मौत के बाद शव का निस्तारण ‘अज्ञात’ में कर देने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की. अदालत की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य में स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं है और अगर महामारी की तीसरी लहर आती है तो उत्तर प्रदेश इसके लिए तैयार है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस की स्थिति इतनी बुरी है कि भाजपा के एक विधायक ने अपनी ही पार्टी की सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि वह बहुत अधिक कहने से डरते हैं, क्योंकि इससे उनके ख़िलाफ़ देशद्रोह का आरोप लग सकता है. वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि महामारी की दूसरी लहर नियंत्रण में है.
उत्तर प्रदेश के सीतापुर से भाजपा विधायक राकेश राठौर ने यह भी आरोप लगाया कि यूपी सरकार के कामकाज में विधायकों की कोई भूमिका नहीं है और उनके सुझावों पर ध्यान नहीं दिया जाता है.
मामला बाराबंकी ज़िले का है, जहां रामनगर विधानसभा क्षेत्र के एक गांव अद्रा में यहां के भाजपा विधायक शरद अवस्थी के लापता होने के पोस्टर लगे हैं. पोस्टर पर पता बताने वाले को हज़ार रुपये देने की बात कहते हुए लिखा है कि अवस्थी चुनाव के बाद से एक बार भी गांव नहीं आए. गांव की समस्याएं लेकर लोग उनके आवास पर जाते हैं तो वे नहीं मिलते.