यूपी से छत्तीसगढ़ अपने घर साइकिल से जा रहे मज़दूर और उनकी पत्नी की सड़क हादसे में मौत

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रह रहे मज़दूर 750 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के बेमेतरा ज़िले के रहने वाले थे. लॉकडाउन की वजह से बेरोज़गार हो गए थे.

उत्तर प्रदेश: कोरोना वायरस से आगरा में पत्रकार की मौत

मृतक पंकज कुलश्रेष्ठ दैनिक जागरण अखबार में लंबे समय से उप-समाचार संपादक पद पर कार्यरत थे. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी सरकार को जान गंवाने वाले पत्रकार के परिवार के लिए आर्थिक सहायता और सभी पत्रकारों के लिए बीमा कवर की घोषणा करने की मांग की है.

लॉकडाउन: साइकिल से गुजरात से यूपी जा रहे मज़दूर की रास्ते में जान गई

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के रहने वाले राजू अंकलेश्वर के एक पावर प्लांट में काम करते थे. सोमवार को वे किसी को बिना बताए साइकिल से अपने गांव जाने के लिए निकले थे, इसी शाम उनका शव नेशनल हाईवे पर मिला.

वाराणसी की स्वतंत्र पत्रकार रिज़वाना तबस्सुम ने आत्महत्या की, मामला दर्ज

रिज़वाना द वायर समेत विभिन्न मीडिया वेबसाइट के लिए काम किया करती थीं. उनके द्वारा लिखे एक नोट के आधार पर उनके पिता ने शमीम नोमानी नाम के शख़्स के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज करवाया है.

‘हैदराबाद से गोरखपुर के लिए 73 हजार रुपये में एम्बुलेंस ली थी, पर भाई पहुंचने से पहले ही चल बसे’

गोरखपुर ज़िले के भटहट क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले राजेंद्र और धर्मेंद्र निषाद हैदराबाद में काम करते थे, जहां लॉकडाउन के दौरान राजेंद्र की तबियत बिगड़ी और डॉक्टरों ने जवाब दे दिया. गांव की ज़मीन गिरवी रख और क़र्ज़ लेकर किसी तरह उन्हें घर लाया जा रहा था, जब उन्होंने गांव के रास्ते में दम तोड़ दिया.

लॉकडाउन: हैदराबाद से पैदल घर निकले मज़दूर ने 400 किलोमीटर पैदल चलने के बाद जान दी

महाराष्ट्र के भिवंडी से उत्तर प्रदेश के महराजगंज ज़िले स्थित अपने घर पहुंचने के लिए साइकिल से निकले एक अन्य प्रवासी कामगार की मौत मध्य प्रदेश के बड़वानी में हो गई है.

लॉकडाउन: हैदराबाद से साइकिल चलाकर मज़दूर दिवस पर महराजगंज पहुंचे सात कामगार

पूर्वी उत्तर प्रदेश के महराजगंज के सात मज़दूर काम करने हैदराबाद गए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में उन्होंने थोड़ी-बहुत जमापूंजी से साइकिल खरीदी और घर की ओर निकल पड़े.

14 दिन पैदल चलकर मुंबई से यूपी के अपने गांव पहुंचे शख़्स ने कुछ ही देर में दम तोड़ा

पेशे से मिस्री इंसाफ़ अली 1500 किलोमीटर पैदल चलकर 27 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में अपने गांव पहुंचे थे. उनकी पत्नी का आरोप है कि अब गांववाले उनका बहिष्कार कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें संदेह है कि मैं कोरोना संक्रमित हूं.

प्रधानमंत्री जी! आप ही बताएं कि हम लोग कोरोना से लड़ें कि भूख से…

उत्तर प्रदेश और बिहार के 34 मज़दूर कर्नाटक के शिमोगा ज़िले में फंसे हैं. बालू खनन का काम करने वहां गए मज़दूरों का कहना है कि जो थोड़े-बहुत पैसे थे, वो अब तक के लॉकडाउन के दौरान ख़त्म हो चुके हैं. अब अगर यहां से नहीं निकाला गया तो भुखमरी जान ले लेगी.

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में दो पुजारियों की हत्या, एक गिरफ़्तार

यह घटना बुलंदशहर के पगोना गांव की है. आरोप है कि मंदिर से पुजारियों का चिमटा चुराए जाने पर हुए विवाद के बाद आरोपी ने तलवार से दोनों की हत्या कर दी.

लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मज़दूरों को चरणबद्ध तरीके से वापस लाया जाएगाः योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वरिष्ठ अधिकारियों से विभिन्न राज्यों में फंसे मज़दूरों और 14 दिनों के क्वारंटाइन की अवधि पूरा कर चुके लोगों की सूची तैयार करने को कहा है.

विदेशियों को शरण देने के आरोपी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को निलंबित किया गया

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर को जिला प्रशासन की अनुमति के बिना ग़ैर-क़ानूनी रूप से विदेशियों को ठहरने की व्यवस्था करने समेत विभिन्न आरोपों में गिरफ़्तार किया गया है.

यूपी: मोदी की आलोचना करने वाले कथित ऑडियो को लेकर भाजपा के सीतापुर विधायक को नोटिस

सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस कथित ऑडियो में भाजपा विधायक राकेश राठौर ने कथित तौर पर कोरोना वायरस के संबंध में लोगों से ताली, घंटी और प्लेट बजाने को गलत बताते हुए आपत्तिजनक टिप्पणी की है.

लॉकडाउन: अलीगढ़ में कथित रूप से पुलिस पिटाई के बाद सब्ज़ी विक्रेता की मौत, लोगों ने चौकी घेरी

सब्ज़ी विक्रेता के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने लॉकडाउन का उल्लंघन करने के लिए उनकी पिटाई की थी. पुलिस ने बताया कि मौत की वजह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगी. उन्होंने परिजनों से पुलिस ज़्यादती का सबूत देने को कहा है.

एक डरावने दौर से गुज़र रहा है भारत का लोकतंत्र

देश में एक लंबी और मुश्किल लड़ाई के बाद हासिल किए गए लोकतांत्रिक अधिकार ख़तरे में हैं क्योंकि सत्ताधारी दल द्वारा उनका दुरूपयोग किया जा रहा है.

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