भीषण गर्मी से सर्वाधिक प्रभावित होने वाला वर्ग श्रमिकों का है. ऐसे में यूपी के ईंट के भट्ठों पर काम करने वाले प्रवासी मज़दूर (फायरमैन) घिसी हुई लकड़ी की चप्पलों, नींबू, नमक और चीनी के सहारे झुलसा देने वाली गर्मी के बीच बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं.
संतकबीर नगर ज़िले में क़रीब 2,900 हेक्टेयर में फैले विशाल बखिरा ताल को पक्षियों का स्वर्ग कहा जाता है, लेकिन इस जगह पर प्राकृतिक आवास के क्षरण और व्यवधान से प्रवासी व स्थानीय पक्षियों की संख्या में कमी आ रही है. बावजूद इसके सरकारी तंत्र घोषणाओं के आगे बढ़ता नहीं दिखता.
साक्षात्कार: अमेठी लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण रही है, जहां से इस बार पार्टी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के ख़िलाफ़ स्थानीय नेता किशोरी लाल शर्मा को अप्रत्याशित उम्मीदवार के तौर पर उतारा था. शर्मा कहते हैं कि चुनाव जनता ने लड़ा था और जीत पार्टी की नहीं जनता की हुई है.
सामाजिक अन्याय झेलते आ रहे कई वंचित तबके सपा-कांग्रेस एकता की बिना पर आए लोकसभा चुनाव के नतीजों को ‘मंडल-2’ की संज्ञा दे रहे और भविष्य को लेकर बहुत आशावान हैं. हालांकि, इस एकता की संभावनाओं और सीमाओं की गंभीर व वस्तुनिष्ठ पड़ताल की ज़रूरत है.
मई-जून में उत्तर भारत में पसरती भीषण गर्मी से चुनाव आयोग अनजान नहीं था, लेकिन उसने चुनाव को खींचकर इतना लंबा किया कि हज़ारों कार्मिकों की जान पर बन आई और उनके लिए यह चुनाव यातना शिविर में तब्दील हो गया.
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के करीब एक चौथाई उम्मीदवार दूसरे दलों से आयात किए हुए थे. भाजपा की इस रणनीति से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई कार्यकर्ता नाराज़ थे.
राजधानियों में बैठे विश्लेषकों और वाचाल एंकरों के लिए गांव की भाषा व राजनीतिक मुहावरे पहले भी अबूझ रहे हैं और इस बार भी अबूझ रहे. वे न इन आवाजों को सुन पाए, न समझ पाए.
जहां भाजपा सपा (और कांग्रेस) द्वारा उत्तर प्रदेश में उसे दी गई गहरी चोट को ठीक से सहला तक नहीं पा रही, उसके शुभचिंतक बुद्धिजीवी और विश्लेषक ‘मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त’ की तर्ज पर इस चोट को साधारण क़रार देने के लिए एक के बाद एक कुतर्क गढ़ रहे हैं.
लोकसभा में बहुमत से बहुत दूर रही भाजपा के लिए तेलुगू देशम पार्टी का साथ महत्वपूर्ण है. एन. चंद्रबाबू नायडू भाजपा के साथ बातचीत के लिए पूरी तरह तैयार बताए जा रहे हैं और उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष पद के साथ वित्त, कृषि जैसे विभिन्न मंत्रालयों की भी मांग की है.
भाजपा को पूर्ण बहुमत न मिलना इस बात का संकेत है कि उसकी घृणा की राजनीति का वर्चस्व भारत में काफी कठिन है.
एक्जिट पोल में एक तात्कालिकता होती है, मसलन आपने किसे वोट दिया? क्यों वोट दिया? आप किस बिरादरी के हैं? यह सवाल धीमी गति से हो रहे परिवर्तनों को नहीं देख पाते हैं. उत्तर प्रदेश में हो रहे परिवर्तन ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘400 पार’ के नारे की हवा निकाल दी.
उत्तर प्रदेश में कई केंद्रीय मंत्री भी अपनी सीट हार गए हैं, इनमें अजय मिश्रा, स्मृति ईरानी, कौशल किशोर, महेंद्र नाथ पांडेय और संजीव बालियान शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में भाजपा की सरकार है, लेकिन तीनों ही राज्यों में विपक्षी 'इंडिया गठबंधन' ने कड़ी टक्कर दी है.
फतेहपुर से साध्वी निरंजन ज्योति भी पीछे चल रही हैं. वहीं, मुजफ़्फरनगर से संजीव बलियान भी पीछे हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 के साथ-साथ ओडिशा और आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे भी मंगलवार को घोषित किए जाएंगे.