पिछले कुछ दिनों के भीतर उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाज़ी खुलकर सामने आ गई है. प्रदेश में पार्टी के सबसे कद्दावर नेता हरीश रावत ने 'संगठन का सहयोग न मिलने' की तंज़ भरे लहज़े में शिकायत की और राजनीति से 'विश्राम' का शिगूफ़ा छोड़ दिया, जिसके बाद पार्टी आलाकमान ने उन्हें दिल्ली बुलाया.
उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा कि सार्वजनिक भावनाओं को देखते हुए गैरसैंण को नई कमिश्नरी बनाने का निर्णय निलंबित कर दिया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस फैसले के लिए कई पार्टी सांसदों और मंत्रियों की असंतुष्टि के साथ भाजपा के भीतर प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था.
बीते दिनों गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया है. क़रीब पचास करोड़ से भी अधिक क़र्ज़ के तले दबे उत्तराखंड में जहां कर्मचारियों का वेतन भी ऋण लेकर दिया जा रहा है, वहां सरकार के दो राजधानियों को चला सकने के फ़ैसले पर सवाल उठना लाज़मी है.
गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद से ही शुरू हुई थी, जिसे लेकर बीते सालों में कई संगठनों द्वारा आंदोलन चलाए गए थे. मार्च में बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की थी.
‘पहाड़ की राजधानी पहाड़ में’ के नारे के साथ गैरसैंण को राजधानी बनाए जाने का आंदोलन एक बाद फिर तूल पकड़ता नज़र आ रहा है.