कोविड-19 महामारी के बीच भारत के जैव प्रौद्योगिकी उद्योग में तेज़ी देखी गई. आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी में आज आनुवंशिक संशोधन भी शामिल है. जीएम कीड़ों को बढ़ावा देने की मुख्य प्रेरणा उन प्रजातियों की आबादी को नियंत्रित करना है, जो संक्रामक रोगजनकों को ट्रांसमिट करते हैं. हालांकि वैज्ञानिकों के एक वर्ग के अनुसार, यह जोखिम के बिना नहीं आता है.
झारखंड में संथाल परगना प्रमंडल के चार ज़िलों- साहिबगंज, पाकुड़, दुमका व गोड्डा की मुख्यतः ग्रामीण आबादी में परजीवी से होने वाले कालाजार रोग के मामले पाए जाते हैं. उनमें भी आदिवासियों की बहुलता है. जानकारों का कहना है कि अशिक्षा, बुनियादी सुविधाओं का अभाव, कुपोषण, खनन क्षेत्र में प्रदूषण, अंधविश्वास जैसी वजहें इसके उन्मूलन अभियान के लिए प्रतिकूल स्थितियां बनाती हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जयपुर में ज़ीका वायरस पर नियंत्रण का दावा कर रहा है, लेकिन अधिकृत आंकड़ों के मुताबिक इसकी चपेट में आने वाले लोगों की संख्या 130 से ज़्यादा हो चुकी है.