देश में कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने चिंता जताई थी कि कोरोनिल सहित कोविड-19 के लिए अस्वीकृत दवाओं का उपयोग करने से मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है. इस तथ्य के बावजूद हरियाणा सरकार द्वारा पतंजलि उत्पादों की खरीद को स्वीकृति दी गई.
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि कोरोनिल किट की आधी लागत पतंजलि और आधी हरियाणा सरकार के ‘कोविड रिलीफ फंड’ ने वहन की है. रामदेव की एलोपैथी के ख़िलाफ़ टिप्पणी को लेकर उठ रहे विवाद के बीच हरियाणा सरकार ने यह घोषणा की गई है. रामदेव ने एलोपैथी को एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस बताया था.
मोदी सरकार द्वारा कोरोना वायरस को लेकर बनाए गए वैज्ञानिक सलाहकार समूह के अध्यक्ष शाहिद जमील ने पिछले कुछ महीनों में कई बार इस बात को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की थी कि कोरोना संक्रमण को लेकर नीतियां बनाते वक़्त विज्ञान को तरजीह नहीं दी जा रही है, जो अत्यधिक चिंता का विषय है.
कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान दवा, ऑक्सीजन आदि की कमी जानलेवा साबित हो रही है, लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है, जिसे अस्पताल की चौखट और इलाज तक सहज पहुंच भी मयस्सर नहीं है.
इस कठिन वक़्त में सरकारों की काहिली तो अपनी जगह पर है ही, लोगों का आदमियत से परे होते जाना भी पीड़ितों की तकलीफों में कई गुनी वृद्धि कर रहा है. इसके चलते एक और बड़ा सवाल विकट होकर सामने आ गया है कि क्या इस महामारी के जाते-जाते हम इंसान भी रह जाएंगे?
कोरोना वायरस की दूसरी लहर और दिल्ली में जारी लॉकडाउन के बीच सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नई संसद के निर्माण का काम ज़ोर-शोर से जारी है, जिसकी विपक्ष के नेता लगातार आलोचना कर रहे हैं. दुनिया भर के प्रसिद्ध विद्वानों, कलाकारों, लेखकों आदि ने भी कोविड-19 के कारण पैदा हुए जनस्वास्थ्य आपातकाल के दौरान भारत सरकार की इस योजना को तत्काल रोकने की मांग की है.
बीते 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह से केंद्र सरकार की वर्तमान वैक्सीन नीति को बनाया गया है, इससे प्रथमदृष्टया जनता के स्वास्थ्य के अधिकार को क्षति पहुंचेगी, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न तत्व है. सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों द्वारा अलग-अलग कीमत तय करने के संबंध में केंद्र से जानकारी मांगी थी.
देशभर में कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच मरीज़ों को समय पर वेंटिलेटर न मिलने की बात सामने आ रही है, वहीं उत्तर प्रदेश के दर्जन भर से अधिक ज़िलों के अस्पतालों में प्रशिक्षित स्टाफ की कमी या ऑक्सीजन का उचित दबाव न होने जैसी कई वजहों के चलते उपलब्ध वेंटिलेटर्स ही काम में नहीं आ रहे हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि विभिन्न वर्गों के नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है, जो समान हालात का सामना कर रहे हैं. केंद्र सरकार 45 साल और उससे अधिक उम्र की आबादी के लिए मुफ़्ते कोविड टीके प्रदान करने का भार वहन करेगी, राज्य सरकारें 18 से 44 आयु वर्ग की ज़िम्मेदारी का निर्वहन करेंगी, ऐसी शर्तों पर बातचीत कर सकते हैं. केंद्र को अपनी मौजूदा टीका नीति पर फिर से ग़ौर करना चाहिए.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत 13 दलों के नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि केंद्र सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें.
कोविड-19 प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए स्वत: संज्ञान मामले पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर लोगों से मदद के आह्वान सहित सूचना के स्वतंत्र प्रवाह को रोकने के किसी भी प्रयास को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा.
कोरोना संक्रमण से हुईं मौतों के आंकड़े कम करके दिखाए जाने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि हमारा ध्यान इस पर होना चाहिए कि कैसे लोग संक्रमण से उबरें, कैसे हम उन्हें राहत प्रदान कर सकें. जो लोग मर गए हैं, विवाद खड़ा करने पर वे लौटकर नहीं आएंगे.
कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि को ‘राष्ट्रीय संकट’ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हाईकोर्ट क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महामारी की स्थिति पर नज़र रखने के लिए बेहतर स्थिति में है और सुप्रीम कोर्ट पूरक भूमिका निभा रहा है तथा उसके ‘हस्तक्षेप को सही परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए’ क्योंकि कुछ मामले क्षेत्रीय सीमाओं से भी आगे हैं.
हरियाणा के हिसार में सोमवार को पांच लोगों की मौत हुई है. इसी तरह बीते रविवार को रेवाड़ी के अस्पताल में चार और गुड़गांव के एक अस्पताल में चार लोगों की मौत के मामले सामने आए हैं. परिजनों ने ऑक्सीजन की कमी से मौत का आरोप लगाया है, प्रबंधन ने इससे इनकार किया है. तीनों ही मामलों में जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
यह आदेश कोरोना महामारी की नई लहर के चलते देश के कई हिस्सों, विशेषकर दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी के बीच आया है. केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इसके औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक लगाने की ज़रूरत थी.