दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि पुलिस आधे-अधूरे आरोप-पत्र दायर करने के बाद जांच को तार्किक परिणति तक ले जाने की बमुश्किल ही परवाह करती है, जिस वजह से कई आरोपों में नामज़द आरोपी सलाखों के पीछे बने हुए हैं. ज़्यादातर मामलों में जांच अधिकारी अदालत में पेश नहीं नहीं हो रहे हैं.