भारतीय सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त अधिकारियों ने अपनी याचिका में कहा है कि देशद्रोही और विभाजनकारी भाषणों ने न केवल आपराधिक क़ानून का उल्लंघन किया, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 पर भी हमला किया है. ये भाषण राष्ट्र के धर्म-निरपेक्ष ताने-बाने पर दाग लगाते हैं और सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की गंभीर क्षमता रखते हैं.
पत्र लिखने वालों में तीनों सेनाओं के आठ पूर्व अध्यक्ष समेत 150 से अधिक पूर्व सैन्य अधिकारी शामिल हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अपील की गई है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सशस्त्र बलों का धर्मनिरपेक्ष और अराजनैतिक स्वरूप सुरक्षित रहे.