1987 में हुआ हाशिमपुरा नरसंहार बीते कुछ दशकों में हुई त्रासदियों में से एक है. ढेरों सबूतों और चश्मदीदों की गवाही के बावजूद मार्च 2015 में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था.
चारों तरफ़ ख़ून के धब्बे बिखरे थे. नहर की पटरी, झाड़ियों और पानी के अंदर ताज़ा जख़्मों वाले शव पड़े थे. समझ में सिर्फ़ इतना आया कि इन शवों और रास्ते में दिखे पीएसी की ट्रक में कोई संबंध ज़रूर है.