वीडियो: अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के अवसर पर अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय महिलाएं बता रहीं हैं कि उनके लिए इस दिन का क्या मतलब है. बीते साल आए विभिन्न कोर्ट के फ़ैसलों को और महिला आंदोलनों को नारीवाद की दृष्टि से कैसे देखा जा सकता है.
अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के इतिहास को देखा जाए तो 100 साल पहले मज़दूर महिलाएं काम के घंटे कम करवाने, बराबर वेतन पाने और वोटिंग करने के अधिकार को लेकर लड़ाई लड़ रहीं थी पर आज जिस तरह से महिला दिवस मनाया जा रहा है वो उसके उलट है.
साक्षात्कार: कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और मीटू आंदोलन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर जानी-मानी इतिहासकार व नारीवादी उमा चक्रवर्ती और आंबेडकर विश्वविद्यालय की शिक्षक वसुधा काटजू से सृष्टि श्रीवास्तव की बातचीत.
#मीटू: पत्रकार विद्या कृष्णन ने 15 साल पहले हुई घटना का ज़िक्र करते हुए बताया कि एक असाइनमेंट के दौरान गौरव सावंत ने उनके साथ छेड़छाड़ और बदसलूकी की. विद्या उस समय ‘द पॉयनियर’ अख़बार में काम करती थीं.