सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर केंद्र और छह राज्यों - महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश तथा हरियाणा - से जवाब मांगा है. याचिका में दावा किया गया है कि शीर्ष अदालत के 2018 के फैसले में राज्यों को लिंचिंग सहित घृणा अपराधों के ख़िलाफ़ निर्णायक कार्रवाई करने का निर्देश देने के बावजूद मुसलमानों के ख़िलाफ़ ऐसे मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है.
जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को भीड़ द्वारा हिंसा और लिंचिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कई दिशानिर्देश दिए थे. अब अदालत ने 2018 से ऐसी हिंसक घटनाओं के संबंध में दर्ज की गई शिकायतों, एफआईआर और अदालतों में पेश किए गए चालान से संबंधित वर्षवार डेटा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
20 जुलाई 2018 को अलवर ज़िले में गो-तस्करी के संदेह में कथित गोरक्षकों की भीड़ ने रकबर ख़ान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इसके बाद विश्व हिंदू परिषद के गोरक्षक सेल के नेता नवल किशोर शर्मा पर भीड़ की अगुवाई करने का आरोप था.
राजस्थान के अलवर ज़िले की घटना. 20 जुलाई 2018 को रकबर ख़ान और उनके एक साथी पर गो-तस्करी के संदेह में गोरक्षकों की भीड़ ने हमला कर दिया था. बर्बर पिटाई के बाद रकबर की मौत हो गई थी, जबकि उनके साथी बचकर भाग निकलने में सफल रहे थे.
लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के संबंध में उपाय सुझाने के लिए पिछले साल मंत्रियों के एक समूह का गठन किया गया था, अब इसकी अध्यक्षता गृहमंत्री अमित शाह करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ की हिंसा और लोगों को पीट-पीट कर मारने की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए दिए गए निर्देशों पर अमल नहीं करने के आरोपों पर केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कहा, लोगों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि ऐसी घटनाओं पर उन्हें कानून के कोप का सामना करना पड़ेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्टेटस रिपोर्ट जमा करने के लिए अंतिम अवसर देते हुए एक सप्ताह का वक़्त दिया है.
पिछले एक साल में नौ राज्यों में करीब 40 लोगों की हत्या भीड़ द्वारा पीट-पीटकर की जा चुकी है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाने का निर्देश दिया था.
इस घटना के पहले शीर्ष न्यायालय ने कथित गोरक्षा के नाम पर हिंसा से निपटने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए थे.
अलवर मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, मारपीट के दौरान लगी चोट के सदमे से हुई रकबर की मौत.
महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी और कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला की ओर से दायर याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी के बावजूद देश में पीट-पीटकर हत्या करने की घटनाएं जारी हैं. पहलू ख़ान के बाद राजस्थान के अलवर ज़िले में बीते 21 जुलाई को गो-तस्करी के संदेह में भीड़ ने रकबर ख़ान की पीट-पीटकर हत्या कर दी.
ग्राउंड रिपोर्ट: रकबर ख़ान उर्फ अकबर के साथ बेहरमी से मारपीट का आरोप झेल रही रामगढ़ थाने की पुलिस ने यह स्वीकार किया है कि वह उसे अस्पताल ले जाने के बजाय कागजी कार्रवाई करने के लिए थाने ले गई थी.
भाजपा के स्थानीय विधायक ज्ञानदेव आहूजा व घटना की सूचना देने वाले शख़्स के मुताबिक पुलिस अकबर ख़ान को अस्पताल ले जाने की बजाय थाने ले गई, जहां उसके साथ बेरहमी से मारपीट हुई. पुलिस ने आरोपों को खारिज किया. वहीं पूर्व विधायक जुबेर ख़ान ने भाजपा विधायक के आरोप को आरोपियों को बचाने की साज़िश बताया.
अलवर के रामगढ़ में हुई घटना. पुलिस ने दो लोगों को गिरफ़्तार किया. मृतक के पिता ने कहा कि वे इंसाफ चाहते हैं और चाहते हैं कि सभी दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए.