महाराष्ट्र के पुणे के नज़दीक स्थित पिंपरी चिंचवाड़ इलाके का मामला. पुलिस ने बताया कि इस सिलसिले में अब तक किसी को गिरफ़्तार नहीं किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने ‘मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं’ के बारे में शीर्ष अदालत के 1994 के फैसले को फिर से विचार के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया.
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया है फ़र्ज़ी ख़बरों से निपटने की ज़िम्मेदारी प्रेस काउंसिल और न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन की होनी चाहिए.
गणतंत्र दिवस पर कासगंज में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से ‘नक्षत्र कम्प्यूटर’ नाम के वॉट्सएप ग्रुप में भड़काऊ वीडियो और तस्वीरें पोस्ट की जा रही थीं.
1996 में प्रवीण तोगड़िया समेत 38 अन्य के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए हत्या के प्रयास के मामले को वापस लेने की गुजरात सरकार की दरख़्वास्त अहमदाबाद की एक अदालत ने स्वीकार कर ली है.
कासगंज में जिन अल्पसंख्यकों ने तिरंगा फहराने के लिए सड़क पर कुर्सियां बिछा रखी थीं, वे अचानक वंदे मातरम् का विरोध और पाकिस्तान का समर्थन क्यों करने लगेंगे?
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर मृतक चंदन गुप्ता की जगह कोई मोहम्मद इस्माईल होता तो मीडिया में अलग बहस होती.
सच तो ये है कि आप हिंदुओं के पक्ष में भी नहीं बोल रहे हैं. आप सिर्फ़ एक राजनीतिक दल के अघोषित प्रवक्ता बने हुए हैं. हिंदू-मुस्लिम तनाव पैदा करके आप उनके राजनीतिक हित साध रहे हैं.
हिंसा में मारे गए युवक के परिजन को 20 लाख रुपये का मुआवज़ा. परिवार ने की शहीद का दर्जा देने की मांग. हिंसा में घायल एक अन्य व्यक्ति ने अपनी आंख गंवाई.
हिंसा के तीसरे तीन भी तनाव बरक़रार. धारा 144 लागू. इंटरनेट रविवार रात तक के लिए प्रतिबंधित. हिंसा के तीसरे दिन उपद्रवियों ने गुमटी जलाई.
26 जनवरी को विहिप और एबीवीपी कार्यकर्ताओं की तिरंगा यात्रा के दौरान नारेबाज़ी के बाद हुआ उपद्रव. शनिवार को फायरिंग में मारे गए युवक के अंतिम संस्कार के बाद हिंसा और आगज़नी जारी.
एक दशक पुराने एक मामले में राजस्थान पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने अहमदाबाद गई तो कुछ समय के लिए लापता हो गए थे.
अगरतला में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं तो उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा, जीवन पद्धति है हिंदुत्व.
भूमंडलीकरण की बाज़ारोन्मुख आंधी में कट्टरता और सांप्रदायिकता अयोध्या के बाज़ार की अभिन्न अंग बनीं तो अभी तक बनी ही हुई हैं.
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद सबसे पहले वर्ष 1949 में अदालत की चौखट पर पहुंचा था.