निरंतर हादसों से जूझते भारतीय उनकी ज़िंदगी को दूभर बनाती राजनीति के साथ क्यों खड़े हैं?

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: धर्म और सांप्रदायिकता की राजनीति ने एक बेहद ग़ैर-ज़िम्मेदार अर्थव्यवस्था को पोसा-पनपाया है जिसके लिए सामान्य नागरिक की ज़िंदगी का कोई मोल नहीं है.