2019 के पिछले आम चुनावों के दौरान कुल मतों की पूर्ण संख्या एक मुद्दा थी. इस बार भी प्रत्येक चरण के मतदान प्रतिशत के अंतिम आंकड़े उपलब्ध नहीं कराने के कारण चुनाव आयोग को आलोचना का सामना करना पड़ा है.
एडीआर और कॉमन कॉज़ की चुनाव आयोग को मतदाताओं की संख्या से संबंधित फॉर्म 17 सी का रिकॉर्ड सार्वजनिक करने का निर्देश देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के इनकार और आयोग के आचरण को लेकर उठते संदेह पर सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और कॉमन कॉज़ ने एक याचिका में मौजूदा लोकसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत के डेटा के तत्काल प्रकाशन की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को ऐसा कोई निर्देश देने से इनकार करते हुए कहा कि वह छुट्टियों के बाद इस मामले को सुनेगा.
चुनाव आयोग द्वारा अंतिम मतदान प्रतिशत के आंकड़े जारी करने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान एक हलफ़नामा पेश करते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग ने कहा है कि डेटा को सार्वजनिक करने से उसका दुरुपयोग हो सकता है, जिससे जनता के बीच चुनावी प्रक्रिया पर अविश्वास पैदा हो सकता है.
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में भी पहले की तरह वास्तविक मतदाता संख्या नहीं, बल्कि 'अनुमानित मत प्रतिशत' बताया है. सोमवार को मतदान के बाद आयोग ने देर रात कहा कि इस चरण में कुल 60.9 प्रतिशत मतदान हुआ.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के आवेदन में मतदान प्रतिशत का ख़ुलासा करने में चुनाव आयोग द्वारा दिखाई गई 'अनुचित देरी' पर आपत्ति जताई गई है, क्योंकि मौजूदा लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के आंकड़ों का खुलासा मतदान समाप्ति के 11 दिन बाद और दूसरे चरण का ख़ुलासा मतदान समाप्ति के 4 दिन बाद किया गया था.
लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 10 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 96 लोकसभा सीटों पर 67.25 फीसदी मतदान दर्ज किया गया, जबकि 2019 में इन्हीं सीटों पर 68.8 फीसदी मतदान हुआ था.
भारतीय निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से केवल मतदान संबंधी डेटा ही गायब नहीं है, बल्कि प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या भी उपलब्ध नहीं है.
एक वेबिनार में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने कहा कि मतदाता बड़ी संख्या में वोट के लिए बाहर निकलते हैं, लेकिन उन्हें अच्छी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार नहीं मिलते, इसलिए वोट नहीं देने के बजाय वे नोटा पर शिफ्ट हो गए. आने वाले चुनाव के बाद के विश्लेषण का यह विषय हो सकता है.
90 सीटों वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 66, भाजपा 17, बसपा तीन और अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस ने चार सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं.
विशेष रिपोर्ट: 20 नवंबर को आखिरी चरण की वोटिंग के बाद मतों की गिनती में तकरीबन 47 हज़ार मतों का इज़ाफ़ा हुआ है.