ग्राउंड रिपोर्ट: साल 2014 में तत्कालीन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने सांसद ग्राम योजना की तर्ज पर अपने संसदीय क्षेत्र झांसी की पहुज नदी को गोद लेते हुए इसके संरक्षण का बीड़ा उठाया था, लेकिन आज वही पहुज नदी बांध निर्माण, प्रदूषण व अतिक्रमण के चलते अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है.
जल संसाधन पर संसदीय समिति ने चिंता ज़ाहिर की है कि इस स्थिति के बावजूद जल संसाधन विभाग ‘चुप’ बैठा हुआ है, जबकि यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई करने की आवश्यकता है कि स्वच्छ पेयजल इन घरों तक पहुंचाया जाए. समिति की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आर्सेनिक, फ्लोराइड, आयरन, नाइट्रेट, भारी धातुओं और उच्च खारापन के कारण जल आपूर्ति प्रदूषित हुई है.
विशेष रिपोर्ट: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले के सुपेबेड़ा गांव के लोगों के अनुसार बीते डेढ़ दशक में भूजल प्रदूषण के कारण सवा सौ से अधिक लोग गुर्दे की बीमारी के चलते जान गंवा चुके हैं. ग्रामीणों के मुताबिक़ कांग्रेस ने सरकार बनने पर शुद्ध पानी, मुआवज़े और इलाज का वादा किया था पर दो साल बीत जाने के बाद भी ऐसा नहीं हुआ.