बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग ने एबीवीपी के विरोध के बाद आठ नवंबर को एक वेबिनार के ऑनलाइन पोस्टर को आधिकारिक रूप से वापस ले लिया. संगठन पोस्टर में उर्दू शायर अल्लामा इक़बाल की फोटो के इस्तेमाल का विरोध कर रहा था.
बीते शुक्रवार को आयोजित होने वाले इस वेबिनार में 2019 के बाद कश्मीर में प्रतिरोध व असंतोष की नई चुनौतियों पर चर्चा होनी थी. जेएनयू के वीसी जगदीश कुमार ने कहा कि यह उकसाने वाला विषय है और फैकल्टी सदस्यों ने आयोजन की योजना बनाने से पहले प्रशासन की अनुमति नहीं ली थी. आरएसएस से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस वेबिनार के पोस्टर जलाकर कार्रवाई की मांग की थी.
मध्य प्रदेश के सागर शहर स्थित डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय का मामला. विश्वविद्यालय का मानव विज्ञान विभाग, अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के साथ 30 और 31 जुलाई को एक वेबिनार की मेज़बानी करने वाला था. एबीवीपी ने वेबिनार में वक्ता के तौर पर पूर्व वैज्ञानिक गा़ैहर रज़ा और प्रोफे़सर अपूर्वानंद को शामिल किए जाने का विरोध किया था, जिसके बाद पुलिस ने विश्वविद्यालय को एक पत्र लिखा था.
बीते 15 जनवरी को जारी आदेश में सार्वजनिक रूप से पोषित शैक्षणिक संस्थानों और यूनिवर्सिटी सहित सभी सरकारी इकाइयों से किसी भी तरह के ऑनलाइन एवं वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस या सेमिनार का आयोजन करने के लिए संबंधित प्रशासनिक सचिव से मंज़ूरी लेने को कहा गया है.
सार्वजनिक रूप से पोषित शैक्षणिक संस्थानों से किसी भी तरह के ऑनलाइन एवं वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस या सेमिनार का आयोजन करने के लिए संबंधित प्रशासनिक सचिव से मंज़ूरी लेने को कहा गया है. द इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेस और द इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस की ओर से कहा गया है कि नए नियमों से युवा पीढ़ी के लिए शैक्षिक अवसरों की वृद्धि और विज्ञान में रुचि बाधित होगी.