पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति की जांच रिपोर्ट के बाद यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है. बताया जा रहा है कि आयोग की समिति के कुछ सदस्यों के भाजपा से संबंध थे. सीबीआई जांच करने का फ़ैसला देने वाली कलकत्ता हाईकोर्ट की पीठ में शामिल जस्टिस सौमेन सेन ने कहा है कि इनकी पृष्ठभूमियों को देखते हुए उन्हें समिति में शामिल करने से बचा जा सकता था.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने चुनाव के बाद कथित हिंसा के संबंध में अन्य आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल के गठन का भी आदेश दिया है. पीठ ने कहा कि सीबीआई और एसआईटी जांच अदालत की निगरानी में की जाएंगी. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस आरोप को ख़ारिज कर दिया कि एनएचआरसी द्वारा की गई जांच पक्षपातपूर्ण थी.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर ममता बनर्जी सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में हलफ़नामा दायर कर आरोप लगाया गया है कि एनएचआरसी जांच समिति के सदस्यों के भाजपा नेताओं या केंद्र सरकार के साथ क़रीबी संबंध हैं. एनएचआरसी की रिपोर्ट में कहा गया था कि बंगाल में क़ानून का शासन नहीं, बल्कि शासक का क़ानून चल रहा है. बंगाल में हिंसक घटनाएं पीड़ितों की दशा के प्रति राज्य सरकार की उदासनीता को दर्शाती है.
पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की जांच करने वाली राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति ने अपनी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार पर टिप्पणी करते हुए हत्या एवं बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों की जांच सीबीआई से कराने और इन मामलों में मुक़दमा राज्य से बाहर चलाने की सिफ़ारिश की है. मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा अब हमारे राज्य की छवि ख़राब करने और राजनीतिक बदला लेने के लिए निष्पक्ष एजेंसियों का सहारा ले रही है. उसे अभी भी विधानसभा चुनाव