मध्य प्रदेश के विदिशा ज़िले में बीते 2 जून को आरटीआई कार्यकर्ता रंजीत सोनी की लोक निर्माण विभाग कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. एक फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट में पता चला है कि रंजीत सरकारी ठेकों, अधिकारियों की नियुक्तियों और उनके ठेकेदारों से संबंधों आदि में व्याप्त भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आरटीआई के माध्यम से लगातार सक्रिय थे और इसलिए उन्हें धमकियां मिल रही थीं और उन पर पहले भी हमले हो चुके थे.
21 दिसंबर को किसान और आरटीआई कार्यकर्ता अमराराम गोदारा का बाड़मेर से अपहरण किया गया और बेरहमी से पीटने के बाद लगभग मरणासन्न हालत में उनके घर के पास फेंक दिया गया. लगातार आरटीआई एवं अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर बढ़ते हमले जवाबदेही क़ानून की ज़रूरत को रेखांकित करते हैं.