दुनिया में लगातार विकसित और मुखर हो रही नारीवादी सोच की ठोस बुनियाद सावित्रीबाई और उनके पति ज्योतिबा ने मिलकर डाली. दोनों ने समाज की कुप्रथाओं को पहचाना, विरोध किया और उनका समाधान पेश किया.
निराश्रित विधवाओं द्वारा झेली जा रही मुश्किल स्थितियों से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यह सवाल उठाया है.