खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी अगस्त 2013 में उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर के कवाल गांव के प्रधान थे, जहां दो चचेरे भाइयों की हत्या के बाद हिंसा भड़कने की पहली घटना हुई थी. यूपी सरकार ने दंगों से संबंधित 77 मामले वापस लिए हैं, जिनमें से कुछ को अगस्त 2021 में आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई थी, जिसके बाद विधायक सैनी और अन्य को बरी किया गया है.
न्यायमित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगे से जुड़े वापस लिए गए मामलों का संबंध ऐसे अपराधों से हैं जिनमें उम्रक़ैद की सज़ा हो सकती है.