तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने लोगों को यात्रा करने से बचने की सलाह दी है. कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में तीन मई तक लॉकडाउन लागू है.
ट्रेन सेवा बहाल किए जाने की कथित ख़बर को लेकर बीते मंगलवार को मुंबई के बांद्रा बस डिपो पर घर जाने के लिए प्रवासी मज़दूर जुट गए थे. इस संबंध में मुंबई पुलिस ने दो अन्य एफआईआर भी दर्ज की है और एक युवक को गिरफ़्तार किया है.
बीते मंगलवार को कोरोना वायरस के चलते लागू देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा के बाद हज़ारों की संख्या में प्रवासी मज़दूर घर जाने की मांग को लेकर मुंबई के बांद्रा इलाके में सड़क जमा हो गए थे. सूरत में ही बीते 10 अप्रैल को इसी मांग के साथ मजदूरों ने हंगामा किया था.
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि हमने मज़दूरों को आश्वासन दिया है कि उनके रहने-खाने की व्यवस्था सरकार करेगी और स्थिति अब नियंत्रण में है, भीड़ हट गई है.
वीडियो: बिहार और झारखंड के निर्माण मज़दूर उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के पास लॉकडाउन के बीच फंस गए हैं. इस निर्माण स्थल पर फंसे ये मज़दूर खाने की कमी के साथ ही अन्य दिक्कतों का भी सामना कर रहे हैं.
बढ़ी हुई मज़दूरी के तहत अकुशल कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन 14,842 रुपये मासिक, अर्द्धकुशल कर्मचारियों के लिए 16,341 रुपये तथा कुशल श्रमिकों के लिए 17,991 रुपये मासिक तय किया गया है.
नरेंद्र मोदी सरकार की पिछली कई योजनाओं की तरह यह नई योजना भी दिखाती है कि लुटियन दिल्ली असली भारत की सच्चाई से कितनी दूर है.
घर हो या दफ्तर, एक दिन सफाई कर्मचारी के न आने से होने वाली अव्यवस्था और परेशानी को नकारा नहीं जा सकता. बावजूद इसके सफाई कर्मचारियों को उनके काम के अनुसार महत्व और सुविधाएं नहीं मिलतीं. हालत यह है कि स्वच्छता के काम में लगी महिला सफाईकर्मियों को अपने घर में शौचालय तक नसीब नहीं हैं.
कैग ने 2014-15 से लेकर 2016-17 के बीच दिए गए 463 कांट्रैक्ट में काम करने वाले ठेके के मज़दूरों के हालात की समीक्षा की है. रिपोर्ट देखेंगे तो पता चलेगा कि रेलवे बग़ैर किसी मंत्री के चल रहा है. राम भरोसे कहना ठीक नहीं क्योंकि राम भरोसे तो सारा देश चलता है.
मीडिया बोल की 66वीं कड़ी में उर्मिलेश एससी-एसटी एक्ट को लेकर सवर्णों द्वारा किए गए भारत बंद, दिल्ली में किसान और मज़दूर संगठनों की रैली और समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर लाने पर वरिष्ठ पत्रकार शैलेष और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल से चर्चा कर रहे हैं.
देशभर से आए हज़ारों की संख्या में किसानों और मज़दूरों ने दिल्ली के संसद मार्ग पर केंद्र की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को रखा.
अदालत ने कहा, बिना न्यूनतम मज़दूरी दिए लोगों से काम लेना आपराधिक कृत्य है और इसके लिए न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948 के तहत दंडात्मक प्रावधान मौजूद हैं.
भारतीय मजदूर संघ ने नीति आयोग के उन निष्कर्षों को आधारहीन बताया है कि श्रम कानूनों में संशोधन के बिना विकास और रोज़गार संभव नहीं है.
सर्वोच्च न्यायालय ने हैरानी जताते हुए कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) तक को भी इस बारे में पता नहीं है.