उत्तर प्रदेश के 36 हज़ार रोज़गार सेवकों को 18 महीनों का मानदेय नहीं मिला है, जो क़रीब 170 करोड़ रुपये होता है. बावजूद इसके उन्हें गांवों में आए प्रवासी कामगारों की पहचान के काम में लगाया गया है. संक्रमण के जोख़िम के बीच न तो उन्हें मास्क और दस्ताने दिए गए हैं, न ही उनका बीमा कराया गया है.