उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त कार्यालय ने बताया कि मैनपुरी में सबसे अधिक छह लोगों की मौत हुई. एटा और कासगंज में तीन-तीन लोगों के मरने की ख़बर है.
सहारनपुर और फतेहपुर की हिंसा अगर पिछली सरकार के दौर में हुई होती, तो भाजपा समाजवादी पार्टी के खिलाफ ‘गुंडाराज’ का आरोप लगाते हुए आसमान सिर पर उठा चुकी होती.