परंपरा के अनुसार अपने समाज से बाहर शादी करने वाली पारसी महिला अपनी धार्मिक पहचान खो देती है.
यह विज्ञापन अभियान अविवाहित व्यक्तियों को तो शर्मिंदा करता ही है, साथ ही उन दंपतियों को भी शर्मिंदा करता है, जिनके कम से कम दो बच्चे नहीं हैं.
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