महाराष्ट्र सरकार ने बीते एक अक्टूबर को मेट्रो परियोजना के लिए कांजूर मार्ग साल्ट पैन में 102 एकड़ की भूमि आवंटित करने का आदेश दिया था. केंद्र सरकार ने दावा किया है कि यह ज़मीन उसके अधीन आती है. पहले यह कार शेड आरे कॉलोनी में बनाए जाने का प्रस्ताव था, जिसका लोगों ने विरोध किया था.
सितंबर 2019 में बीएमसी ट्री अथॉरिटी ने मुंबई मेट्रो रेल के लिए प्रस्तावित कार शेड के निर्माण के लिए आरे जंगल में 2,700 पेड़ों की कटाई और प्रत्यारोपण के लिए मंज़ूरी दे दी थी. इसका पर्यावरणविद् और स्थानीय लोगों ने विरोध किया था. तब कई लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आरआर दर्ज की गई थी.
मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए तकरीबन 2700 पेड़ काटने की मंज़ूरी दे दी गई थी, जिसका पर्यावरणविद् विरोध कर रहे हैं.
मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए तकरीबन 2700 पेड़ काटने की मंज़ूरी दे दी गई है, जिसका पर्यावरणविद् और स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं.
महाराष्ट्र में ठाणे-भिवंडी-कल्याण मेट्रो लाइन पांच की परियोजना के तहत मेट्रो कार शेड बनाने के लिए मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण गोवगांव में 36 एकड़ ज़मीन अधिग्रहण करने के लिए नोटिस भेजा है. हाल में मुंबई की आरे कॉलोनी में कार शेड बनाने के लिए पेड़ कटाने का लेकर काफी विरोध हुआ था.
बीते रविवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने सात हजार रुपये के निजी मुचलके और प्रदर्शन न करने की शर्त पर प्रदर्शनकारियों को जमानत दी थी.
कानून के छात्रों द्वारा इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे गए पत्र के बाद मामले की सुनवाई के लिए दो जजों की पीठ गठित की गई थी.
यह न्याय के बुनियादी सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है. मामला सुप्रीम कोर्ट में था तो कैसे पेड़ काटे गए? नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में मामला था तो पेड़ कैसे काटे गए? क्या अब से फांसी की सज़ा हाईकोर्ट के बाद ही दे दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में अपील का कोई मतलब नहीं रहेगा? वहां चल रही सुनवाई का इंतज़ार नहीं होगा?
मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए तकरीबन 2700 पेड़ काटने की मंज़ूरी दे दी गई है, जिसका पर्यावरणविद् और स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं.
मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए तकरीबन 2700 पेड़ काटने की मंज़ूरी दे दी गई है, जिसका पर्यावरणविद् विरोध कर रहे हैं. गिरफ्तार किए गए 29 प्रदर्शनकारियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई की आरे कॉलोनी को वन क्षेत्र घोषित करने की सभी याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के समक्ष लंबित है, इसलिए हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.