असमानता दूर करने में सरकारों की विफलता की कीमत चुका रही है दुनिया: ऑक्सफैम

विश्व आर्थिक मंच की दावोस एजेंडा शिखर बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने कहा कि महामारी की आर्थिक मार से उबरने में अरबों लोगों को एक दशक से अधिक का समय लग सकता है, जबकि मार्च 2020 के बाद से सबसे शीर्ष पर सिर्फ़ 10 अरबपतियों का धन आसमान छू लिया है.

भारत बीते 50 सालों की सबसे भयावह मानवीय त्रासदी के दौर में प्रवेश कर चुका है

अब जब देश में सारी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे खुलने लगी हैं, तब ऐसा दिखाने की कोशिश हो रही है कि भूख और रोजी-रोटी की समस्या ख़त्म हो गई है. जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है.

ग़रीब हमारी चेतना से बहुत पहले निकल चुके हैं, लॉकडाउन ने बस इस छिपे तथ्य को ज़ाहिर किया है

जब सरकार ने दोबारा विमान सेवाएं शुरू कीं, तब एक केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और क्वारंटीन सेंटर में रखने जैसी बातें व्यावहारिक नहीं लगतीं. हैरानी वाली बात है कि जो बात विमान के यात्रियों के लिए व्यावहारिक नहीं लग रही, वो मज़दूरों के लिए अति आवश्यक कैसे बन गई थी.

क्या सरकार बच्चों और महिलाओं को भूखे-कमज़ोर रखकर भारत को आत्मनिर्भर बना सकती है?

लैंसेट के अध्ययन के अनुसार कोविड का मातृत्व मृत्यु और बाल मृत्यु दर पर गहरा प्रभाव पड़ेगा. इसके अनुसार भारत में छह महीनों में 3 लाख बच्चों की कुपोषण और बीमारियों से 14 हज़ार से अधिक महिलाओं की प्रसव पूर्व या इसके दौरान मृत्यु हो सकती है. हालांकि वित्तमंत्री द्वारा घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर पैकेज में कुपोषण और मातृत्व हक़ के लिए एक रुपये का भी आवंटन नहीं किया गया है.

एक फीसदी के पास 70 फीसदी भारतीयों से चार गुना ज्यादा धन: ऑक्सफैम रिपोर्ट

ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट 'टाइम टू केयर' में कहा कि विश्व के 2153 अरबपतियों के पास विश्व की 60 फीसदी जनसंख्या के मुकाबले ज्यादा संपत्ति है. इसमें कहा गया है कि एक घरेलू कामकाजी महिला को किसी तकनीकी कंपनी के सीईओ के बराबर कमाने में 22 हजार 277 साल लग जाएंगे.

एक साल में देश में 9.62 फीसदी बढ़ गई अमीरों की संपत्ति: रिपोर्ट

कार्वी वेल्थ मैनेजमेंट की रिपोर्ट के अनुसार, इन अमीरों के पास 2017 में 392 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जो कि 2018 में 430 लाख करोड़ रुपये हो गई.

आर्थिक असमानता लोगों को मजबूर कर रही है कि वे बीमार तो हों पर इलाज न करा पाएं

सबसे ग़रीब तबकों में बाल मृत्यु दर और कुपोषण के स्तर को देखते हुए यह समझ लेना होगा कि लोक सेवाओं और अधिकारों के संरक्षण के बिना न तो ग़ैर-बराबरी ख़त्म की जा सकेगी, न ही भुखमरी, कुपोषण और बाल मृत्यु को सीमित करने के लक्ष्यों को हासिल किया जा सकेगा.

उदारीकरण के बाद बनीं आर्थिक नीतियों से ग़रीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती गई

जब से नई आर्थिक नीतियां आईं, चुनिंदा पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए खुलेआम जनविरोधी नीतियां बनाई जाने लगीं, तभी से देश राष्ट्र में तब्दील किया गया. इन नीतियों से भुखमरी, कुपोषण और ग़रीबी का चेहरा और विद्रूप होने लगा तो देश के सामने राष्ट्र को खड़ा कर दिया गया. खेती, खेत, बारिश और तापमान के बजाय मंदिर और मस्जिद ज़्यादा बड़े मुद्दे बना दिए गए.

क्या संविधान ने हमें सम्मान से जीने के लिए पांव धोने की व्यवस्था दी है?

क्या किसी बेरोज़गार के घर समोसा खा लेने से बेरोज़गारों का सम्मान हो सकता है? उन्हें नौकरी चाहिए या प्रधानमंत्री के साथ समोसा खाने का मौक़ा? अगर पांव धोना ही सम्मान है तो फिर संविधान में संशोधन कर पांव धोने और धुलवाने का अधिकार जोड़ दिया जाना चाहिए.

क्यों देश की राजनीतिक और आर्थिक ताक़त कुछ परिवारों तक सिमटकर रह गई है

क्या अगले आम चुनाव में मोदी सरकार या महागठबंधन में से कोई नेता या दल अपने चुनावी घोषणा-पत्र में यह वादा कर सकता है कि वो देश की आम जनता को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधा देने की संवैधानिक जवाबदारी निभाने के लिए 2019 से देश के अरबपतियों और अमीरों पर उचित टैक्स लगाने का काम करेगा?

भारत के 9 अमीरों के पास है 50 फीसदी आबादी के बराबर संपत्ति: रिपोर्ट

ऑक्सफैम की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2018 में देश के शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों की संपत्ति में 39 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि पचास प्रतिशत ग़रीब आबादी की संपत्ति में महज़ 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.

भारत में विकास तो हुआ लेकिन स्पष्ट दिखने वाली ग़रीबी भी है: नोबेल विजेता पॉल क्रुगमैन

अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने कहा कि भारत में ऊंचे दर्जे की आर्थिक असमानता है और तरक्की के साथ-साथ यह बढ़ती ही गई है. बढ़ी हुई बेरोज़गारी भारत के विकास मॉडल की राह में रोड़ा बन सकती है.

सांसदों का वेतन पिछले छह सालों में चार गुना बढ़ा: वरुण गांधी

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने सवाल उठाया कि क्या कोई आदमी अपने मन से अपनी तनख़्वाह बढ़ा सकता है या ख़ुद ही इसे तय कर सकता है, अगर नहीं तो सांसद और विधायक अपनी तनख़्वाह कैसे तय कर सकते हैं?

भारत में आर्थिक असमानता बढ़ रही है, ग़रीब और ग़रीब हो रहे हैं: रिपोर्ट

ग़ैर सरकारी संगठन ऑक्सफेम इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत के 101 अरबपतियों की संपत्ति जीडीपी के 15 प्रतिशत के बराबर है.

लोकसभा अध्यक्ष सम्पन्न सांसदों द्वारा वेतन छोड़ने का आंदोलन शुरू करवाएं: वरुण गांधी

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा कि भारत में आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है, जो कि लोकतंत्र के लिए घातक है.