शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की याचिका ने न्यायाधीशों की ईमानदारी पर अनावश्यक संदेह पैदा किया है.
पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण बता रहे हैं कि 10 नवंबर को मुख्य न्यायाधीश की अदालत में जो हुआ, वह सर्वोच्च न्यायालय और भारत की न्यायपालिका के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े करता है.
मामले में कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एनजीओ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण कोर्ट से यह कहते हुए निकल गए कि उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, वह जो भी हों, कितने भी शक्तिशाली हों, कानून से नहीं बच सकते हैं और न्याय होगा.
न्यायाधीशों के नाम पर कथित रूप से रिश्वत लेने से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश सुनवाई करेंगे.