संसद ने हाल ही में भारतीय चिकित्सा परिषद के स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग गठित करने वाले विधेयक को मंजूरी दी. भारतीय चिकित्सा संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेडेकर का कहना है कि ये फैसला जन विरोधी है. इससे स्वास्थ्य शिक्षा एवं डाक्टरों की गुणवत्ता में कमी आएगी.
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक के कई प्रावधानों पर डॉक्टरों एवं मेडिकल छात्रों को आपत्ति है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि कुछ प्रावधान ऐसे हैं जिसमें एमबीबीएस डिग्री धारकों के अलावा गैर चिकित्सकीय लोगों या सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को लाइसेंस देने की बात की गई है.
कांग्रेस, द्रमुक और तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने विधेयक को अलोकतांत्रिक बताया. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि यह विधेयक गरीब और छात्र विरोधी है तथा मौजूदा संस्करण में सिर्फ दिखावटी बदलाव किए गए हैं.
भीमा-कोरेगांव हिंसा में आरोपी संभाजी भिड़े ने कहा था कि अभी तक बिना बच्चों वाले 180 दंपतियों ने उनसे फल लिए, उनमें से 150 को बच्चा हुआ.
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक 2017 (मेडिकल बिल) को विचार के लिए संसद की स्थायी समिति को भेज दिया है.