राज्यसभा में चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस, टीआरएस, कांग्रेस और बसपा समेत विभिन्न दलों के नेताओं ने ट्रांसजेंडर विधेयक को प्रवर समिति के समक्ष भेजने की मांग की, जिसे ख़ारिज कर दिया गया. बीते अगस्त महीने में संसद के पिछले सत्र के दौरान लोकसभा में इसे पारित किया जा चुका है.
केंद्र की मोदी सरकार ने कॉमर्शियल सरोगेसी पर लगाम लगाने के लिए सरोगेसी विनियमन विधेयक, 2019 बीते अगस्त महीने में लोकसभा में पारित किया था, जिसके बाद से इसका विरोध शुरू हो गया है.
ट्रांसजेंडर्स विधेयक से उस प्रावधान को भी हटा दिया गया है जिसके तहत ट्रांसजेंडर व्यक्ति को अपने समुदाय का होने की मान्यता प्राप्त करने के लिए जिला स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष पेश होना अनिवार्य था.
मीडिया बोल की 66वीं कड़ी में उर्मिलेश एससी-एसटी एक्ट को लेकर सवर्णों द्वारा किए गए भारत बंद, दिल्ली में किसान और मज़दूर संगठनों की रैली और समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर लाने पर वरिष्ठ पत्रकार शैलेष और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रतन लाल से चर्चा कर रहे हैं.
आरएसएस के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा कि समलैंगिक विवाह प्राकृतिक नहीं होते, इसलिए हम इस तरह के संबंध का समर्थन नहीं करते हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि एलजीबीटी समुदाय को अन्य नागरिकों की तरह समान मानवीय और मौलिक अधिकार हैं. अदालतों को व्यक्ति की गरिमा की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि गरिमा के साथ जीने के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर मान्यता दी गई है.
समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर करने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ऐसे लोगों के साथ भेदभाव ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर डाला है.
समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर करने संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार से सुनवाई चल रही है.