संघ के लिए केंद्र में सत्ता मंज़िल की सीढ़ी है, अपने आप में मंज़िल नहीं. उसने भाजपा को दो से अस्सी सीट पर पहुंचाने वाले, राम मंदिर मुद्दे के पुरोधा लालकृष्ण आडवाणी को किनारे कर मोदी के लिए हामी भरने में कोई देरी नहीं की. वो कभी ऐसे किसी भी नेता को मंज़ूर नहीं करेगा जो उसकी विचारधारा और ताक़त से ज़्यादा कद्दावर दिखने लगे.
ऐसा लगता है कि यह दावा बार-बार इसलिए किया जाता है ताकि यह सिद्ध किया जा सके कि अपने अंतिम दिनों में गांधीजी कांग्रेस और उसके नेताओं से दूर हो गए थे.
हम भी भारत की 10वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी, राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चौधरी और वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त से चर्चा कर रही हैं.
राहुल नए रास्तों पर बढ़ रहे हैं और उनके भाषणों को अतीत के मुक़ाबले ज़्यादा कवरेज दिया जा रहा है. वे अब एक हंसमुख, तनावमुक्त और पैने व्यक्ति के तौर पर नज़र आते हैं.