मौजूदा वित्त वर्ष (25 मार्च तक) में मनरेगा के तहत 255 करोड़ व्यक्ति कार्य दिवस पैदा किया गया जो कि 2010-11 के बाद से इस योजना के तहत व्यक्ति कार्य दिवस की सबसे अधिक संख्या है.
सैम पित्रोदा ने कहा कि हमनें नई नौकरियों का सृजन नहीं किया है बल्कि पहले से मौजूद रोजगारों को ही खत्म कर दिया है इसलिए आज एक प्रमुख चुनौती यह है कि नई नौकरियों का सृजन कैसे किया जाए.
एनएसएसओ द्वारा साल 2017-2018 में किए गए सर्वेक्षण से ये पता चला है कि 2011-12 से लेकर 2017-18 के बीच खेत में काम करने वाले अस्थायी मजदूरों में 40 फीसदी की गिरावट आई है. खात बात ये है कि सरकार ने इस सर्वेक्षण को जारी करने से मना कर दिया है.
भाजपा ने आम चुनाव में राष्ट्रवाद और पाकिस्तान से ख़तरे को मुद्दा बनाने का मंच सजा दिया है. वो चाहती है कि विपक्ष उनके उग्रता के जाल में फंसे, क्योंकि विपक्षी दल उसकी उग्रता को मात नहीं दे सकते. विपक्ष को यह समझना होगा कि जनता में रोजगार, कृषि संकट, दलित-आदिवासी और अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार जैसे मुद्दों को लेकर काफी बेचैनी है और वे इनका हल चाहते हैं.
2015-16 से तीन साल तक 10.4 प्रतिशत की दर से प्रगति करने पर ही हम कृषि क्षेत्र में दोगुनी आमदनी के लक्ष्य को पा सकते थे. इस वक़्त यह 2.9 प्रतिशत है. मतलब साफ है लक्ष्य तो छोड़िए, लक्षण भी नज़र नहीं आ रहे हैं. अब भी अगर इसे हासिल करना होगा तो बाकी के चार साल में 15 प्रतिशत की विकास दर हासिल करनी होगी जो कि मौजूदा लक्षण के हिसाब से असंभव है.
नंदूरबार ज़िले के किसान संगठन सत्यशोधक शेतकरी सभा ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र पुलिस ने उनके 3000 लोगों को हिरासत में लिया था. नासिक से मुंबई तक किसान मार्च 20 फरवरी से प्रस्तावित है.
क्या अगले आम चुनाव में मोदी सरकार या महागठबंधन में से कोई नेता या दल अपने चुनावी घोषणा-पत्र में यह वादा कर सकता है कि वो देश की आम जनता को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधा देने की संवैधानिक जवाबदारी निभाने के लिए 2019 से देश के अरबपतियों और अमीरों पर उचित टैक्स लगाने का काम करेगा?
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को आरक्षण देना अव्यवस्थित सोच है. आरक्षण को असमानता के कारण लागू किया गया था और यह कभी भी आय का प्रश्न नहीं था.
भाजपा सांसद मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 तक चावल के उत्पादन में चार से छह प्रतिशत, आलू में 11 प्रतिशत, मक्का में 18 प्रतिशत और सरसों के उत्पादन में दो प्रतिशत तक की कमी संभावित है. इसके अलावा एक डिग्री सेल्सियस तक तापमान वृद्धि के साथ गेंहू की उपज में 60 लाख टन तक कमी आ सकती है.
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2018 तक में फसल बीमा के तहत कार्यरत सरकारी कंपनियों को 4,085 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इसमें से सबसे बड़ा घाटा एआईसी को हुआ है.
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि भाजपा समाज को बांटने वाली नीतियों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है. उन्होंने नागरिकता बिल को भेदभावपूर्ण बताया है.
वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा कि सरकार टिकाऊ खेती के लिए पहल तो कर रही है लेकिन उसमें किसान केंद्र में नहीं है. स्थायी व्यवसाय के रूप में कृषि तभी बच सकती है जब किसानों को खुद को बचाए रखने का मौका दिया जाएगा.
प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि क़र्ज़ माफ़ी पूरी तरह से मूर्खतापूर्ण नीति है.
उत्तर प्रदेश में आगरा के किसान प्रदीप शर्मा ने फसल बीमा के संबंध में कृषि विभाग में भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया है. इससे पहले शर्मा ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी थी.
विशेष रिपोर्ट: कृषि मंत्रालय ने वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसद की प्राक्कलन समिति को बताया कि अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, सरसों जैसी फसलों पर जलवायु परिवर्तन का काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है. समिति ने इस समस्या को हल करने के लिए सरकार की कोशिशों को नाकाफी बताया है.