केंद्र ने हाल ही में एक आदेश जारी कर कहा है कि सरकार प्रदर्शन के आधार पर किसी सरकारी कर्मचारी की आयु 50-55 वर्ष होने या 30 वर्ष की सेवा पूरी होने के बाद किसी भी समय जनहित में उसे समय-पूर्व सेवानिवृत्त कर सकती है.
कार्मिक मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन की समय-समय पर समीक्षा के लिए निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्हें सेवा में बनाए रखा जाना चाहिए या समय से पहले सेवानिवृत्त कर देना चाहिए.
सीसीएस जैसे क़ानूनों का उद्देश्य उच्च शिक्षा के उद्देश्यों को ही ध्वस्त कर देना है. उच्च शिक्षा में विकास तब तक संभव नहीं है जब तक विचारों के आदान-प्रदान की आज़ादी नहीं हो. अगर इन संस्थाओं की ये भूमिका ही समाप्त हो जाए तो उच्च शिक्षा की आवश्यकता ही क्या रहेगी? शिक्षक और शोधार्थी सरकारी कर्मचारी की तरह व्यवहार नहीं कर सकते.