केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने दावा किया था कि आयुर्वेद रिसॉर्ट चलाने वाले डॉ. इसाक मथाई ने उन्हें बताया है कि प्रिंस चार्ल्स का आयुर्वेद और होम्योपैथी के ज़रिये उनके द्वारा किया गया इलाज सफल रहा.
दिल्ली के निजामुद्दीन मामले को लेकर सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण संदेशों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोरोना वायरस के अलावा बांटने वाला भी एक वायरस है. मैं ऐसे लोगों को चेतावनी देता हूं कि मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि कोई कानून आपको न बचा पाए.
गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस राशि का इस्तेमाल पृथकवास सुविधाएं बनाने, नमूने एकत्रित करने, स्क्रीनिंग करने, स्वास्थ्य, निगम, पुलिस तथा दमकलकर्मियों के लिए निजी सुरक्षा उपकरण, थर्मल स्कैनर, वेंटिलेटर आदि ख़रीदने में किया जाएगा.
मुसलमानों के शुभचिंतक तबलीग़ वालों को कड़ी सज़ा देने, यहां तक कि उसे प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं. इस एक मूर्खतापूर्ण हरकत ने सामान्य हिंदुओं में मुसलमानों के ख़िलाफ़ बैठे पूर्वाग्रह पर एक और परत जमा दी है. ऐसा सोचने वालों को क्या यह बताने की ज़रूरत है कि हिंदू हों या ईसाई, उनमें बैठे मुसलमान विरोध का कारण मुसलमानों की जीवनशैली या उनके एक हिस्से की मूढ़ता नहीं है.
भारतीय प्रेस परिषद ने मीडिया संस्थानों से आयुर्वेदिक, योग और नेचुरोपैथी, यूनानी और होम्योपैथी में कोरोना वायरस के इलाज से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने का निर्देश दिया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने अपील की कि हम एक संक्रामक बीमारी से जूझ रहे हैं, ऐसे में इससे निपटने के उपायों का पालन में करने में मामूली सी चूक हमारे सारे प्रयासों को व्यर्थ साबित कर देती है.
अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 1,100,283 हो गई है और अब तक 58,928 लोगों ने इस महामारी के चलते दम तोड़ दिया है.
वीडियो: बीते जनवरी में चीन के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के लिए टीके के विकास का प्रसार करने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिकों को इसका एक जेनेटिक कोड जारी किया. समाचार वेबसाइट डीडब्ल्यू ने हांगकांग, बेल्जियम और जर्मनी के वैज्ञानिकों से बात की, ताकि वे ये समझ सकें कि वे टीका विकसित करने की अपनी यात्रा में कहां तक पहुंचे हैं.
अमेरिकी राजनयिक सैम ब्राउनबैक ने कहा कि दुनियाभर की सरकारों को कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के खेल को आक्रामकता से ख़ारिज कर देना चाहिए.
इस हफ़्ते की शुरुआत में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मीडिया कोरोना वायरस संबंधी कोई भी जानकारी छापने या दिखाने से पहले सरकार से इसकी पुष्टि कराए. इसके बाद अदालत ने मीडिया को निर्देश दिया कि वे ख़बरें चलाने से पहले उस घटना पर आधिकारिक बयान लें.
यूरोप में कोरोना वायरस के तकरीबन 508,271 मामले दर्ज किए गए हैं और 34 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. भारत में मरने वालों की संख्या 56 हुई. संक्रमित लोगों की संख्या दो हज़ार के पार पहुंची.
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के टाटपट्टी बाखल इलाके में बीते एक अप्रैल को कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अभियान चला रहे स्वास्थ्यकर्मियों की टीम पर लोगों ने पथराव कर दिया था. इंदौर में 24 मार्च से दो अप्रैल के बीच संक्रमण के 75 मामले सामने आए हैं.
दिल्ली पुलिस ने तबलीग़ी जमात के नेता मौलाना साद कांधलवी समेत सात लोगों को नोटिस भेजा. इससे पहले मौलाना साद और अन्य के ख़िलाफ़ सरकारी आदेश का उल्लंघन करते हुए धार्मिक आयोजन कराने के लिए एफ़आईआर दर्ज की गई थी.
सरकार से पुष्टि के बाद कोरोना वायरस से संबंधित ख़बरें मीडिया द्वारा चलाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अलग-अलग मायने निकले जा सकते हैं. हो सकता है कि केंद्र इसे मीडिया सेंसरशिप के लिए इस्तेमाल करने लगे या मीडिया सेल्फ सेंसरशिप करने लगे. अगर ऐसा होता है तो यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए गंभीर ख़तरा होगा.
इन दिनों कहा जा रहा है- हाथ धोएं, घरों तक सीमित रहें, सामाजिक दूरी बनाए रखें. यह सारे कदम ज़रूरी हैं, मगर सरकार की अपनी ज़िम्मेदारी का क्या? मिसाल के तौर पर अगर स्वास्थ्य प्रणाली मज़बूत नहीं रखी तो फिर तमाम ध्यान रखने के बावजूद जिन्हें संक्रमण हो जाएं उनके बड़े हिस्से के लिए मरने के अलावा कोई चारा नहीं है.