उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कोविड के बीच राज्य में धार्मिक आयोजन करने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि नागरिकों का जीवन सुरक्षित रखना राज्य का पहला दायित्व है. हम एक अदृश्य दुश्मन से विश्वयुद्ध लड़ रहे हैं और हमें अपने सभी संसाधन लगा देने चाहिए.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि महामारी की स्थिति के बीच चारधाम यात्रा का संचालन संभव नहीं है. बीते हफ़्ते हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यात्रा संबंधी एसओपी जारी करने का निर्देश देते हुए कहा था कि चारधाम यात्रा को दूसरा कुंभ बनने नहीं दिया जा सकता.
चारधाम राजमार्ग परियोजना की निगरानी कर रही उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र में हिमालयी पारिस्थितिकी में निर्माण कार्य से हुए नुकसान को हालिया आपदा की वजह बताया. केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इसका खंडन करते हुए पत्र का जवाब दाख़िल करने की बात कही है.
चारधाम परियोजना के लिए वन एवं वन्यजीव क़ानूनों के बड़े स्तर पर उल्लंघन का इशारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त उच्च अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष ने केंद्रीय पर्यावरण सचिव को भेजे पत्र में कहा है कि परियोजना के कारण हिमालयी पारिस्थितिकी को बेहिसाब और दीर्घकालिक क्षति हुई.
इस योजना के तहत यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए सड़कों का चौड़ीकरण किया जाना है. वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि पर्यावरण का ध्यान नहीं रखा गया तो केदारनाथ त्रासदी जैसी घटना दोबारा हो सकती है.
चारधाम योजना के तहत उत्तराखंड के चार पर्वतीय धामों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए सड़कों का चौड़ीकरण किया जाना है. पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील इन इलाकों में पेड़ों और पहाड़ों को काटने क्षति पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं.
पहाड़ काट कर हो रहे निर्माण और पनबिजली संयंत्र लगाने के धमाकों से पहाड़ का सीना फट रहा है. तलहटी के हरिद्वार, देहरादून सरीखे शहर बजबजाते स्लम बन चुके हैं. गोमुख से हरिद्वार तक सभ्यता का ज़हरीला कचरा फैल गया है.