रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने कहा कि पहले के मुक़ाबले आर्थिक वृद्धि के बहुत कम रहने की आशंका है. एक अन्य एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी हाल ही में चेतावनी दी थी कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र में जोख़िम बढ़ रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. इससे पहले विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था. वित्त वर्ष 2018-19 में वृद्धि दर 6.9 फीसदी रही थी.
वित्त वर्ष 2018-19 में वृद्धि दर 6.9 फीसदी रही थी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की संयुक्त वार्षिक बैठक से पहले जारी रिपोर्ट में लगातार दूसरे साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट का अनुमान व्यक्त किया गया है.
प्रमुख नीतिगत दर रेपो में पहली बार 0.35 प्रतिशत की चौंकाने वाली कटौती करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था को अधिक समर्थन की जरूरत है, इसलिए मेरा मानना है कि नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की परंपरागत कटौती कम होगी.
पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.8 फीसदी पर थी. आर्थिक सर्वेक्षण में 2025 तक देश की अर्थव्यवस्था का आकार दोगुने से अधिक कर 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने की विस्तृत रूपरेखा पेश की गई है.
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकार के साथ मतभेदों के कारण कार्यकाल पूरा होने से नौ महीने पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था.
आरबीआई की मौद्रिक नीति घोषणा में इस बात पर अफसोस जताया गया है कि बैंकों के लिए नीतिगत दरों में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों तक अभी नहीं पहुंचाया गया है. नीतिगत दरों में पहले 0.50 फीसदी की कमी की गई पर बैंकों ने क़र्ज़ पर ब्याज दर में औसतन केवल 0.21 फीसदी की ही कमी की है.
इसके साथ ही रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019- 20 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया. रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिज़र्व बैंक दूसरे कॉमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है.
पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने रिज़र्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल के अचानक इस्तीफ़े को हालिया केंद्र सरकार-आरबीआई विवाद से जोड़ते हुए कहा कि ऐसी संस्थाओं को अल्पकालिक राजनीतिक फ़ायदों के लिए ख़त्म करना मूर्खतापूर्ण होगा.
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि उर्जित पटेल द्वारा इस्तीफा एक गंभीर चिंता का विषय है. पूरे देश को इसे लेकर चिंतित होना चाहिए.
पिछले कुछ समय से केंद्र की मोदी सरकार और रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के बीच गतिरोध जारी था. उर्जित पटेल ने इस्तीफे का कारण निजी बताया है.
मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में उर्जित पटेल ने सरकार द्वारा रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा-7 का पहली बार इस्तेमाल करना और रिज़र्व बैंक की कमाई में सरकार के हिस्से को लेकर नियम बनाने जैसे मुद्दों पर कोई जवाब नहीं दिया.