सरोद वादक उस्ताद अमजद अली ख़ान ने कहा कि 21वीं सदी मानवता के लिए सबसे बुरा समय है. हर इंसान को दुनिया में शांति एवं सौहार्द्र कायम रखने का प्रयास करना चाहिए.
अपने जीवन के विषाद, विष, अंधेरे को निराला ने जिस तरह से करुणा और प्रकाश में बदला, वह हिंदी साहित्य में अद्वितीय है.
दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर लिखती हैं, ‘मेरे लिए महज एक हिंदू होने से ज़्यादा ज़रूरी इंसान होना है. इस साल दीवाली पर मेरे घर में तो अंधेरा रहेगा, लेकिन मेरे मन का कोई कोना ज़रूर रोशन होगा.’