पिछले महीने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे युवक-युवती को सुरक्षा देने से इनकार करते हुए कहा था कि यह नैतिक और सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं है. शीर्ष अदालत ने इस आदेश को ख़ारिज करते हुए पुलिस से याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा देने को कहा है.
इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की ही दो अन्य पीठों ने लिव-इन रिलेशनशिप के ख़िलाफ़ फैसला दिया था और प्रेमी जोड़े को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इस तरह के संबंध सामाजिक और नैतिक रूप से स्वीकार्य नहीं हैं.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का यह रुख़ ऐसे रिश्तों को मान्यता देने वाले उच्चतम न्यायालय के रुख़ से अलग है. उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मई 2018 में कहा था कि वयस्क जोड़े को शादी के बगैर भी साथ रहने का अधिकार है. न्यायालय ने कहा था कि एक महिला चुन सकती है कि वह किसके साथ रहना चाहती है.