सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ दायर की गई याचिका पर यह फैसला दिया है. इससे पहले निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इन लोगों को दोषी ठहराया था और पांच वर्ष जेल की सजा सुनाई थी.
भारतीय लोकतंत्र का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि इस तरह के जघन्य अपराध भुलाए नहीं जाएंगे और दोषी किसी क़ीमत पर नहीं बचेंगे.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 सिख विरोधी दंगों मामले में एक निचली अदालत के फैसले के ख़िलाफ़ की गई दोषियों की 22 वर्ष पुरानी अपीलों को ख़ारिज कर दिया और सज़ा काटने के लिए आत्मसमर्पण करने को कहा.