मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा सिर्फ भारत में नहीं है. यह एक प्रकार की विश्वव्यापी बीमारी है और यह कनाडा में भी पाई जाती है. लेकिन इस हिंसा पर समाज, सरकार और पुलिस की प्रतिक्रिया क्या है, कनाडा और भारत में यही तुलना का संदर्भ है.
यह भारत का सामाजिक स्वभाव बनता जा रहा है कि मुसलमानों को खुलेआम मारा जा सकता है, उनके ख़िलाफ़ हिंसक प्रचार किया जा सकता है और पुलिस-प्रशासन से लेकर राजनीतिक दलों तक कोई भी इसे गंभीर मामला मानने को तैयार नहीं.
देश के नेता विगत कोई बीस सालों के अथक प्रयास से समाज का इतना ध्रुवीकरण पहले ही कर चुके हैं कि आने वाले अनेक वर्षों तक उनकी चुनावी जीत सुनिश्चित है. फिर कुछ लोग अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और उन्हें अपमानित करने के लिए जोशो-ख़रोश से क्यों जुटे हुए हैं?
जिस तरह देश में सांप्रदायिक वैमनस्य बढ़ रहा है, उससे मुसलमानों के निराश और उससे कहीं ज़्यादा भयग्रस्त होने के अनेकों कारण हैं. समाज एक ‘बाइनरी सिस्टम’ से चलाया जा रहा है. अगर आप बहुसंख्यकवाद से सहमत हैं तो देशभक्त हैं, नहीं तो जिहादी, शहरी नक्सल या देशद्रोही, जिसकी जगह जेल में है या देश से बाहर.
सुदर्शन टीवी के विवादित कार्यक्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में अदालत के मीडिया नियमन के प्रस्ताव पर केंद्र ने एक हलफनामे में कहा है कि अगर वे इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के लिए दिशानिर्देश देना ज़रूरी समझते हैं, तो समय की दरकार है कि ऐसा पहले डिजिटल मीडिया के लिए किया जाना चाहिए.
सुदर्शन न्यूज़ के बिंदास बोल कार्यक्रम के 'नौकरशाही जिहाद' एपिसोड के प्रसारण को रोकते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश की शीर्ष अदालत होने के नाते यह कहने की इजाज़त नहीं दे सकते कि मुस्लिम सिविल सेवाओं में घुसपैठ कर रहे हैं. और यह नहीं कहा जा सकता कि पत्रकार को ऐसा करने की पूरी आज़ादी है.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने गुरुवार को सुदर्शन न्यूज़ के कार्यक्रम 'बिंदास बोल' के विवादित नौकरशाही जिहाद वाले एपिसोड के प्रसारण की अनुमति दी थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इसके ख़िलाफ़ दायर हुई याचिका पर मंत्रालय से जवाब मांगा है.
नेताओं की हेट स्पीच, सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों के ज़रिये समाज में कट्टरता और नफ़रत भरे विचारों को बिल्कुल सामान्य तौर पर परोसा जा रहा है और ऐसा करने वालों में सुरेश चव्हाणके अकेले नहीं हैं.
जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके के शो 'बिंदास बोल' के विवादित 'यूपीएससी जिहाद' एपिसोड पर रोक लगा दी है. इसका प्रसारण 28 अगस्त को रात आठ बजे होना था.
सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके अपने शो 'बिंदास बोल' के विवादित ट्रेलर में 'जामिया के जिहादी' शब्द कहते नज़र आ रहे हैं. जामिया का कहना है कि उन्होंने न सिर्फ यूनिवर्सिटी और एक समुदाय की छवि धूमिल करने की कोशिश की, बल्कि यूपीएससी की प्रतिष्ठा भी ख़राब करने का प्रयास किया है.
नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने वाले सांसदों/विधायकों की संख्या के लिहाज से भाजपा शासित उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है. राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के मामलों में भी वृद्धि हुई है.