मंटो फिल्म में मुझे जो मिला वो एक फिल्म निर्देशक की आधी-अधूरी ‘रिसर्च’ थी, वर्षों से सोशल मीडिया की खूंटी पर टंगे हुए मंटो के चीथड़े थे और इन सबसे कहीं ज़्यादा स्त्रीवाद बल्कि ‘फेमिनिज़्म’ का इश्तिहार था.
फिल्मकार और अभिनेत्री नंदिता दास ने कहा कि सेंसर बोर्ड के फिल्मों के प्रमाणन के सिद्धांत में ख़ामियां हैं.