बोधगया के प्रज्ञा ज्योति बुद्धिस्ट नोविस स्कूल एंड मेडिटेशन सेंटर में पढ़ने के लिए असम से आए थे बच्चे. पीड़ितों की उम्र 6 से 13 साल के बीच. मेडिकल जांच में कुछ बच्चों के शरीर पर घाव और अंदरूनी अंगों के साथ छेड़छाड़ के निशान पाए गए.
राजधानी में पिछले साल दर्ज अपहरण के 6,707 मामलों में से 75 फीसदी से ज्यादा महिलाओं से जुड़े थे, हर रोज औसतन दो बच्चों का यौन उत्पीड़न हुआ.
यह ‘अच्छे स्पर्श’ और ‘बुरे स्पर्श’ की सरलीकृत बायनरी से आगे बढ़ने का वक़्त है. बच्चों के लिए न विशेष अदालतें हैं, न काउंसलिंग के इंतज़ाम हैं, न ही सुरक्षित वातावरण जिसमें वह पल-बढ़ सकें.
आवासीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ यौन अत्याचार, शोषण और उनके मरने की घटनाएं आम हो चली हैं लेकिन मुख्यधारा में कहीं भी उनकी चर्चा नहीं है.