नई योजना के तहत ऐसे स्थानों पर उर्दू शिक्षकों की भी नियुक्ति की जाएगी, जहां की 25 फीसदी से अधिक आबादी उर्दू बोलती है. हालांकि, देश में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को मजबूत बनाने के लिए शुरू की गई योजना के लिए इस साल बजट आवंटित नहीं किया गया.
जब तक भूमंडलीकरण की आर्थिक नीतियों में कोई निर्णायक परिवर्तन नहीं होता, भारत विश्वशक्ति बन जाए तो भी, सरकार का सारा बोझ ढोने वाले निचले तबके की यह नियति बनी ही रहने वाली है कि वह तलछट में रहकर विश्वपूंजीवाद के रिसाव से जीवनयापन करे.
लोकपाल के लिए आवंटित किए गए बजट को निर्माण और स्थापना संबंधी कार्यों में ख़र्च किया जाएगा.
वित्त वर्ष 2018-19 में भी अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट 4700 करोड़ रुपये रखा गया था. इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में मंत्रालय के लिए 4197 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.
पहले 250 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों पर 25 प्रतिशत की दर से कॉरपोरेट कर लगता था. इसके अलावा दो से पांच करोड़ और पांच करोड़ रुपये से अधिक की कमाई करने वालों पर सरचार्ज बढ़ाया गया है.
सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता घटाने के लिए बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों को कई तरह के प्रोत्साहन दिया है. इलेक्ट्रानिक वाहनों की खरीद को लेकर लिए गए कर्ज पर 1.5 लाख रुपये तक के ब्याज पर आयकर छूट दिया जाएगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश में 400 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली कंपनियों को अब 25 प्रतिशत की दर से कारपोरेट कर देना होगा.
लाइवः बजट 2019 के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2019-20 का आम बजट शुक्रवार को लोकसभा में पेश करते हुए कहा कि भारत की जनता ने जनादेश के माध्यम से हमारे देश के भविष्य के लिए अपने दो लक्ष्यों 'राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक वृद्धि' पर मुहर लगाई है.
नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार सुबह 11 बजे लोकसभा में पेश करेंगी. इस बार बजट दस्तावेज को ब्रीफकेस में नहीं रखकर लाल रंग की फाइल में रखा गया है.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि अनुदान सहायता, सब्सिडी और प्रमुख कार्यों के लिए नई सेवा के प्रावधान को बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय को पहले संसद की अनुमति लेने की जरूरत होती है.
आज़ादी के 71 साल: सरकार यह महसूस नहीं करती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक सुरक्षा पर किया गया सरकारी ख़र्च वास्तव में बट्टे-खाते का ख़र्च नहीं, बल्कि बेहतर भविष्य के लिए किया गया निवेश है.
खेती-किसानी पर कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा से द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु की बातचीत.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना में 40 प्रतिशत पैसा राज्य सरकार को देना है. जब राज्य के पास पहले से ही ऐसी योजना मौजूद है तो किसी और योजना पर राजस्व ख़र्च नहीं किया जा सकता.
बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर केंद्र की मोदी सरकार की ओर से किए गए प्रावधानों पर कृषि विशेषज्ञों को संदेह है. उनके अनुसार, न्यूनतम समर्थन मूल्य में इज़ाफ़ा काफ़ी नहीं, यह भी देखा जाना ज़रूरी है कि बहुत थोड़े किसानों की पहुंच एमएसपी तक है.