अदालत ने कहा कि इस तरह की पाबंदी अनुचित है और यह पत्रकारों के अभिव्यक्ति की आज़ादी के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता है.
सोहराबुद्दीन शेख़ एनकाउंटर मामले में सीबीआई कोर्ट के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बरी किए जाने के फैसले को सीबीआई द्वारा चुनौती न देने को ग़ैरक़ानूनी बताते हुए बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल की है.
मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत में चल रही सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई की मीडिया रिपोर्टिंग पर बचाव पक्ष की अर्ज़ी के बाद रोक लगा दी गई थी, जिसके ख़िलाफ़ पत्रकारों ने याचिका दायर की है.
अधिवक्ता संघ ने उच्च न्यायालय से सीबीआई को निर्देश देने का आग्रह किया है कि वह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को बरी करने के सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए एक समीक्षा याचिका दायर करे.
रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जज लोया के बेटे द्वारा उनकी मौत पर कोई शक़ होने की बात नकारने के बाद जज लोया के चाचा ने कहा कि मामले की जांच होनी ही चाहिए.
सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल लोया के बेटे अनुज लोया ने पिता की मौत पर विवाद ख़त्म करने की मांग की है.
अदालत ने कहा कि अस्पताल बकाया बिल वसूलने के लिए क़ानूनी तरीके अपना सकते हैं. साथ ही सरकार को ऐसे रोगियों को संरक्षण देने की प्रणाली बनानी चाहिए.
महाराष्ट्र के एक पत्रकार द्वारा दायर जनहित याचिका में जज लोया की मौत को संवेदनशील बताते हुए इसकी निष्पक्ष जांच कराने की मांग की गई थी.
महाराष्ट्र के सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्सों में बाहर का खाना ले जाने की मनाही के नियम को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.
विभिन्न राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों से जुड़े 9 पत्रकारों ने अपनी याचिका में कहा कि सुनवाई की मीडिया कवरेज पर पाबंदी ग़ैर-क़ानूनी है.
पीठ नौ लोगों को दोषमुक्त किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई कर रही है.
वर्ष 2016 तक देश की 24 उच्च अदालतों में 40.15 लाख मामले लंबित थे. इनमें से दस वर्ष या अधिक समय से लंबित मामलों की संख्या 19.45 फीसदी है.
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहे सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में कार्यवाही कर रहे जज लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में 1 दिसंबर, 2014 को मौत हो गई थी.
नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या मामले में सुनवाई कर रही अदालत ने कहा, हम सबसे बड़े लोकतंत्र हैं. हम रोजाना ऐसी घटनाओं पर गर्व नहीं कर सकते हैं. यह हमारे के लिए शर्मनाक है.
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि नेताओं की सुरक्षा का खर्च उनकी पार्टियों के कोष से किया जा सकता है.